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बिहार चुनाव में तेज प्रताप यादव की नई राजनीतिक चालें

बिहार विधानसभा चुनाव के नजदीक, तेज प्रताप यादव ने आरजेडी से निष्कासन के बाद नए राजनीतिक गठबंधन की घोषणा की है। उन्होंने भोजपुरिया जन मोर्चा और अन्य छोटी पार्टियों के साथ मिलकर एक नया मोर्चा बनाया है। इस गठबंधन का उद्देश्य महागठबंधन के वोट बैंक में सेंध लगाना है। तेज प्रताप की रणनीति असदुद्दीन ओवैसी की तर्ज पर एक थर्ड फ्रंट बनाने की कोशिश प्रतीत होती है। जानें इस राजनीतिक हलचल का क्या असर होगा और किसे मिलेगा फायदा।
 

बिहार की राजनीति में हलचल

बिहार समाचार: जैसे-जैसे बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहा है, राज्य की राजनीतिक स्थिति और भी जटिल होती जा रही है। इस बार मुकाबला केवल एनडीए और महागठबंधन के बीच नहीं है, बल्कि तेजस्वी यादव और उनके बड़े भाई तेज प्रताप यादव के बीच भी एक नई राजनीतिक लड़ाई देखने को मिल रही है।


तेज प्रताप का आरजेडी से निष्कासन

तेज प्रताप यादव, जो पहले लालू प्रसाद यादव के करीबी सहयोगी और आरजेडी के प्रमुख नेता माने जाते थे, अब पार्टी और परिवार से अलग होते जा रहे हैं। एक महिला से जुड़े विवाद और सोशल मीडिया पर विवादास्पद पोस्ट के कारण 25 मई को आरजेडी ने उन्हें छह साल के लिए निष्कासित कर दिया। इसके बाद तेज प्रताप ने सोशल मीडिया पर कहा कि उनका अकाउंट हैक कर लिया गया था, लेकिन तब तक राजनीतिक हलचल तेज हो चुकी थी।


तेज प्रताप का नया राजनीतिक गठबंधन

आरजेडी को चुनौती देते हुए

आरजेडी से निष्कासन के बाद, तेज प्रताप ने बिहार की राजनीति में अपनी नई पहचान बनाने के लिए भोजपुरिया जन मोर्चा, विकास वंचित इंसान पार्टी, संयुक्त किसान विकास पार्टी, प्रगतिशील जनता पार्टी और वाजिब अधिकार पार्टी के साथ मिलकर एक नया गठबंधन बनाया है। उन्होंने अपने पुराने निर्वाचन क्षेत्र महुआ से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने का भी ऐलान किया है।


क्या तेज प्रताप ओवैसी की राह पर?

एक थर्ड फ्रंट की कोशिश

तेज प्रताप की रणनीति को देखते हुए, ऐसा लगता है कि वह असदुद्दीन ओवैसी की तरह एक थर्ड फ्रंट बनाने की कोशिश कर रहे हैं। ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम भी बिहार में नए गठबंधन की तैयारी कर रही है, जिससे विपक्षी वोटों का और अधिक बंटवारा हो सकता है।


राजनीतिक लाभ का समीकरण

किसे मिलेगा फायदा?

यदि विपक्षी दलों के बीच इस तरह का टकराव और गठबंधन जारी रहा, तो इसका सीधा लाभ एनडीए को होगा। वहीं, तेजस्वी यादव को कांग्रेस, वामपंथी दल और लालू यादव का समर्थन प्राप्त है, जो उन्हें राजनीतिक मजबूती प्रदान करता है। तेज प्रताप की छवि अभी भी अस्थिर और गैर-जिम्मेदार मानी जाती है, जिससे उनका प्रभाव सीमित रह सकता है।