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बिहार चुनाव: मोदी की राजनीतिक अस्तित्व की परीक्षा

बिहार चुनाव अब मोदी जी के राजनीतिक अस्तित्व का एक महत्वपूर्ण प्रश्न बन गया है। अगर वे हारते हैं, तो उनकी राजनीतिक यात्रा समाप्त हो सकती है। कांग्रेस और आरजेडी की स्थिति चुनाव को प्रभावित कर सकती है। जानिए कैसे मोदी का छद्म राष्ट्रवाद और राहुल गांधी की सक्रियता इस चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
 

बिहार चुनाव का महत्व

बिहार चुनाव अब मोदी जी के राजनीतिक अस्तित्व का एक महत्वपूर्ण प्रश्न बन गया है। अगर वे हारते हैं, तो उनकी राजनीतिक यात्रा समाप्त हो सकती है। उनके खिलाफ चारों ओर से हमले हो रहे हैं। पिछले 11 वर्षों में उनकी बातों, भाषणों और कहानियों का दौर रहा है, लेकिन अब उनकी छवि गिरने लगी है। उन्होंने अपने छवि निर्माण का आधार राष्ट्रवाद रखा था, लेकिन अब यह छद्म राष्ट्रवाद के रूप में सामने आ रहा है। सीजफायर करना मोदी के लिए बहुत महंगा साबित हुआ। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप ने बार-बार कहा कि मैंने कहा और उन्होंने सीजफायर किया।


कांग्रेस की स्थिति

पिछले तीन दशकों में यह पहली बार है कि कांग्रेस में यह बहस नहीं हो रही है कि चुनाव गठबंधन में नहीं, बल्कि अकेले लड़ना चाहिए। पहले, हर चुनाव से पहले कांग्रेस के नेता इस मुद्दे में उलझे रहते थे। लेकिन इस बार बिहार चुनाव से पहले ऐसी आवाजें सुनाई नहीं दे रही हैं। हालांकि कुछ लोग बोल रहे हैं, लेकिन अब कांग्रेस हाईकमान को समझ में आ गया है कि ऐसे लोग उसके हित में नहीं हैं। बिना संगठन के अकेले चुनाव लड़ना एक तरह से अपनी कमजोरी को उजागर करना है। जब तक हाथ में कुछ न हो, उसे बंद रखना ही समझदारी है।


आरजेडी की ताकत

बिहार में आरजेडी ही एक प्रमुख दल है और उसी के पास संगठन है। कांग्रेस वहां अकेले कुछ नहीं कर सकती। कुछ लोग जो बीजेपी के समर्थक हैं, वे यह सुझाव दे रहे हैं कि कांग्रेस को प्रशांत किशोर और चिराग पासवान के साथ मिलकर लड़ना चाहिए। लेकिन यह रास्ता कांग्रेस के लिए और भी खतरनाक हो सकता है। जीतने के बाद प्रशांत किशोर और चिराग पासवान में से कोई भी कांग्रेस के पास नहीं रुकेगा।


सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता

आरजेडी पर कई आरोप लगते हैं, लेकिन वह सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता से कभी नहीं डिगी। यही उसकी सबसे बड़ी ताकत है। बीजेपी को इसी से सबसे ज्यादा डर लगता है। सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्ष राजनीति में परिवर्तन की आहट आती है, जिसे वे रोकने की कोशिश करते हैं। इसीलिए बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) लाया गया। 65 लाख लोगों के नाम वोटर लिस्ट से काट दिए गए हैं। चुनाव आयोग भी इस पर कोई जवाब नहीं दे रहा है।


राहुल गांधी की सक्रियता

नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने हाल ही में प्रेस कॉन्फ्रेंस में वोटर लिस्ट में नाम काटने के मामले को उठाया। चुनाव आयोग इस पर कोई जवाब नहीं दे रहा है, जिससे यह संदेश गया है कि चुनाव आयोग भाजपा सरकार के इशारों पर काम कर रहा है। बिहार चुनाव अब मोदी जी के अस्तित्व का सवाल बन गया है। अगर वे हारते हैं, तो उनकी राजनीतिक यात्रा समाप्त हो जाएगी।


2024 लोकसभा चुनाव का प्रभाव

2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्ष की एकजुटता ने मोदी को 240 पर रोक दिया था। इसी अनुभव के आधार पर बिहार में कांग्रेस ने अकेले लड़ने की बजाय गठबंधन को प्राथमिकता दी है। 2015 में गठबंधन के जरिए कांग्रेस ने सफलता हासिल की थी। इस बार भी कांग्रेस को समझ में आ गया है कि अकेले लड़ना सही नहीं है।


मोदी का छद्म राष्ट्रवाद

मोदी का छद्म राष्ट्रवाद अब लोगों के सामने आ रहा है। गलवान में चीन के हमले के बाद मोदी की आतंकवाद को खत्म करने की दावों पर सवाल उठने लगे हैं। सीजफायर करना मोदी के लिए महंगा साबित हुआ। अब यह देखना है कि क्या मोदी का छद्म राष्ट्रवाद फूटेगा या वे बिहार से वापसी करेंगे। यह चुनाव उनके भविष्य और राहुल की राजनीति दोनों पर निर्भर करेगा।