बिहार चुनावों से पहले मतदाता सूची के पुनरीक्षण पर ओवैसी का बयान
ओवैसी ने चुनाव आयोग से मांगी समय की बढ़ोतरी
नई दिल्ली। बिहार में आगामी चुनावों के मद्देनजर एआईएमआईएम (AIMIM) का एक प्रतिनिधिमंडल, सांसद असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व में, चुनाव आयोग के पास पहुंचा। इस दौरान ओवैसी ने कहा कि वे मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन इसके लिए और समय दिया जाना चाहिए।
ओवैसी ने चेतावनी दी कि यदि 15-20 प्रतिशत लोगों के नाम मतदाता सूची से हटा दिए गए, तो वे अपनी नागरिकता भी खो सकते हैं। उन्होंने कहा कि यदि किसी का नाम हटाया गया, तो वह न केवल अपना वोट खोएगा, बल्कि यह उसकी आजीविका का भी सवाल है। उनका मुख्य सवाल यह है कि चुनाव आयोग इतनी कम अवधि में इस प्रक्रिया को कैसे लागू कर सकता है, जिससे लोगों को समस्याओं का सामना करना पड़ेगा।
बिहार में एआईएमआईएम के राज्य प्रमुख और विधायक अख्तरुल ईमान ने कहा कि उन्होंने चुनाव आयोग से पुनरीक्षण की तिथि बढ़ाने या इसे रोकने का अनुरोध किया है। उन्होंने बताया कि राज्य में कई लोगों के पास जन्म प्रमाण पत्र नहीं हैं, और कई प्रवासी मजदूर हैं। मानसून के मौसम में भी दस्तावेजों की कमी एक बड़ी समस्या है।
सुप्रीम कोर्ट में मामला पहुंचा, सुनवाई 10 जुलाई को
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करने पर सहमति जताई है। यह सुनवाई 10 जुलाई को होगी। इस याचिका में राजद सांसद मनोज झा, एडीआर और टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा शामिल हैं।
चुनाव आयोग का आदेश 24 जून को जारी हुआ
चुनाव आयोग ने 24 जून को बिहार में एसआईआर (SIR) करने के निर्देश दिए थे, जिसका उद्देश्य अपात्र नामों को हटाना और यह सुनिश्चित करना था कि केवल योग्य नागरिक ही मतदाता सूची में शामिल हों। आयोग ने कहा कि तेजी से बढ़ती शहरीकरण, प्रवासन, युवा मतदाता बनने, मौत की सूचनाएं न मिलने और विदेशी अवैध प्रवासियों के नाम जुड़ने जैसे कारणों से यह पुनरीक्षण आवश्यक हो गया है। इस प्रक्रिया में बूथ स्तर के अधिकारी घर-घर जाकर नामों की जांच करेंगे। बिहार में इस साल के अंत में चुनाव होने की संभावना है।