×

बिहार में दोहरे वोटर आईडी विवाद: उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा पर सवाल उठे

बिहार की राजनीति में दोहरे वोटर आईडी का मामला एक बार फिर चर्चा में है। उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा पर आरोप है कि उनके नाम के साथ दो अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों में वोटर आईडी पाई गई हैं। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने इस मुद्दे को उठाते हुए चुनाव आयोग से सवाल किए हैं। जानें इस विवाद की पूरी कहानी और विजय सिन्हा का स्पष्टीकरण क्या है।
 

बिहार की राजनीति में नया विवाद

बिहार की राजनीतिक स्थिति में एक बार फिर दोहरे वोटर आईडी का मामला चर्चा का विषय बन गया है। पहले नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पर लगे आरोपों ने हलचल मचाई थी, और अब उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा भी इस विवाद में फंस गए हैं। भारतीय निर्वाचन आयोग ने विजय सिन्हा को दो अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों में उनके नाम के साथ दो वोटर आईडी (EPIC) नंबर पाए जाने के कारण नोटिस जारी किया है। आयोग ने उनसे 14 अगस्त 2025 की शाम 5 बजे तक जवाब देने को कहा है.


वोटर लिस्ट में दोहरी प्रविष्टि

चुनाव आयोग द्वारा जारी ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में विजय सिन्हा का नाम दो अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों में पाया गया है। पहला नाम पटना के 182-बांकीपुर विधानसभा क्षेत्र के मतदान केंद्र संख्या 406 पर है, जहां उनका EPIC नंबर AFS0853341 है। दूसरा नाम लखीसराय विधानसभा क्षेत्र में EPIC नंबर IAF3939337 के साथ दर्ज है। इस दोहरी प्रविष्टि ने मतदाता सूची की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं.


तेजस्वी यादव का आरोप

10 अगस्त 2025 को पटना में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता तेजस्वी यादव ने इस मुद्दे को उठाया। उन्होंने विजय सिन्हा के दो वोटर आईडी होने का आरोप लगाते हुए दोनों EPIC नंबरों का खुलासा किया। तेजस्वी ने इसे 'चुनावी फर्जीवाड़ा' करार दिया और चुनाव आयोग से पूछा कि क्या उपमुख्यमंत्री के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि सिन्हा ने दोनों स्थानों पर SIR फॉर्म भरा है, जिससे मामला और गंभीर हो जाता है.


विजय सिन्हा का स्पष्टीकरण

इस विवाद पर उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा ने अपनी स्थिति स्पष्ट की है। उन्होंने बताया कि पहले उनका नाम पटना के बांकीपुर विधानसभा की मतदाता सूची में था। अप्रैल 2024 में उन्होंने लखीसराय विधानसभा में अपना नाम जोड़ने के लिए आवेदन किया और पटना की सूची से नाम हटाने के लिए भी ऑनलाइन आवेदन किया था। हालांकि, तकनीकी कारणों से उनका नाम पटना की सूची से नहीं हटा। जब ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी हुई, तब उन्हें इस दोहरे पंजीकरण की जानकारी मिली, जिसके बाद उन्होंने 5 अगस्त 2025 को बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) को आवेदन देकर पटना की सूची से नाम हटाने का अनुरोध किया.