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बिहार में नीतीश कुमार की नई डोमिसाइल नीति: युवाओं की उम्मीदें और चुनौतियाँ

बिहार में नीतीश कुमार की सरकार चुनाव से पहले कई लोक लुभावन फैसले ले रही है, जिसमें नई डोमिसाइल नीति भी शामिल है। इस नीति के तहत 98 प्रतिशत पद बिहार के निवासियों के लिए आरक्षित किए जाएंगे। हालांकि, इस कानून में कुछ ऐसे प्रावधान हैं जो लाखों बिहारी बच्चों को इसके लाभ से वंचित कर सकते हैं। जानें इस नीति के पीछे की कहानी और इसके संभावित प्रभावों के बारे में।
 

नीतीश कुमार की सरकार के लोक लुभावन फैसले

बिहार में नीतीश कुमार की सरकार चुनाव से पहले कई लोक लुभावन निर्णय ले रही है। एक ओर जहां सरकारी खजाना खोला गया है, वहीं दूसरी ओर डोमिसाइल लागू करने का विवादास्पद निर्णय भी सामने आया है। ध्यान देने योग्य है कि नीतीश कुमार की सरकार ने 2023 में बिहार में पहले से लागू डोमिसाइल कानून को समाप्त कर दिया था। इसके बाद, उत्तर प्रदेश के युवाओं सहित कई अन्य राज्यों के युवाओं को बिहार में शिक्षक की नौकरी मिली। इस पर बिहार के युवाओं ने आंदोलन शुरू कर दिया और डोमिसाइल लागू करने की मांग की। इस दबाव के चलते, नीतीश कुमार की सरकार ने पहले महिलाओं के लिए डोमिसाइल लागू किया, जिसमें बिहार की महिलाओं को आरक्षण में प्राथमिकता देने का ऐलान किया गया। इसके बाद, सभी वर्गों के लिए डोमिसाइल का निर्णय लिया गया।


डोमिसाइल कानून के नए प्रावधान

नीतीश कुमार की सरकार द्वारा लाए गए नए कानून के अनुसार, बिहार के 98 प्रतिशत पद अब बिहार के निवासियों के लिए आरक्षित होंगे। यह कानून शिक्षकों की बहाली के चौथे चरण, यानी टीआरई चार में लागू होगा। पहले नीतीश कुमार का कहना था कि बिहार में अच्छे शिक्षक नहीं हैं, इसलिए डोमिसाइल लागू करना उचित नहीं होगा। लेकिन अब अचानक दो साल में ही अच्छे शिक्षकों की भरमार हो गई है! इसके अलावा, डोमिसाइल कानून में यह प्रावधान किया गया है कि आवेदन के समय बिहार का आवास प्रमाण पत्र होना आवश्यक नहीं है, बल्कि बिहार से मैट्रिक और इंटर पास करने वालों को ही इसका लाभ मिलेगा। इस प्रावधान के कारण लाखों बिहारी बच्चे इस लाभ से वंचित रह जाएंगे। बिहार के ऐसे लोग जो परिवार के साथ बाहर रहते हैं और किसी अन्य शहर में नौकरी कर रहे हैं, उनके बच्चों ने वहां पढ़ाई की है, तो उन्हें बिहार की डोमिसाइल नीति का लाभ नहीं मिलेगा।