बिहार में पुलों के लिए हेल्थ कार्ड योजना, सुरक्षा और सुविधा में सुधार
बिहार में पुलों की सुरक्षा के लिए नई पहल
Bihar News: बिहार में पुलों और पुलियों के गिरने की घटनाएं अब एक सामान्य समस्या बन गई थीं, लेकिन अब राज्य सरकार ने पुलों के लिए हेल्थ कार्ड बनाने की योजना शुरू की है। यह पहल पुलों की सुरक्षा और दीर्घकालिक स्थिरता को सुनिश्चित करने के लिए एक दूरदर्शी नीति का हिस्सा है। सभी पुलों की नियमित जांच, देखरेख और रखरखाव के लिए हेल्थ कार्ड तैयार किया जाएगा।
राजधानी पटना की दूरी कम करने का लक्ष्य
राजधानी की दूरी होगी कम
बिहार में सड़कों का ऐसा जाल बिछाया गया है कि अब राज्य के किसी भी कोने से राजधानी पटना तक पहुंचने में अधिकतम पांच घंटे लगते हैं। हालांकि, इस समय को वर्ष 2027 तक घटाकर केवल साढ़े तीन घंटे करने का लक्ष्य रखा गया है। यह योजना पथ निर्माण विभाग के विजन-2020 का एक हिस्सा है, जिसे राज्य सरकार चरणबद्ध तरीके से लागू कर रही है।
पुलों के हेल्थ कार्ड और संधारण नीति का शुभारंभ
पुलों का हेल्थ कार्ड और संधारण नीति का प्रारंभ
पथ निर्माण मंत्री नितिन नवीन के अनुसार, इस योजना की शुरुआत वर्ष 2022-23 के बजटीय भाषण में की गई थी। इसके बाद 3 जून 2025 को मंत्रिपरिषद से स्वीकृति मिलने के साथ "बिहार राज्य पुल प्रबंधन एवं संधारण नीति-2025" को लागू किया गया। बिहार ऐसा पहला राज्य बन गया है, जिसने पुलों के संधारण के लिए एक समर्पित नीति बनाई है।
पुलों की संख्या और प्रबंधन की चुनौतियाँ
पुलों का आंकड़ा और चुनौती
पिछले 18 वर्षों में, पथ निर्माण विभाग ने 3,968 पुलों का निर्माण किया है, जिनमें 532 बड़े ब्रिज और ओवरब्रिज शामिल हैं। इतनी बड़ी संख्या में पुलों के निर्माण के बाद उनका वैज्ञानिक और व्यवस्थित प्रबंधन आवश्यक हो गया है। अक्सर देखरेख की कमी के कारण पुलों में क्षति आती रही है, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा बना रहता था। अब इस नीति के तहत पुलों की नियमित निगरानी की जाएगी।
संधारण नीति से सुरक्षा और बचत
संधारण से सुरक्षा और बचत दोनों
इस नीति के माध्यम से न केवल पुलों की उम्र बढ़ेगी, बल्कि मरम्मत पर होने वाले खर्च में भी कमी आएगी। इससे यात्रियों को अधिक सुरक्षित और सुविधाजनक यात्रा का अनुभव मिलेगा। नीति को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार "ब्रिज मेंटेनेंस प्रावधानों" के तहत तैयार किया गया है।