बिहार में फर्जी आवासीय प्रमाण पत्र घोटाला: प्रशासन की कार्यशैली पर उठे सवाल
बिहार में फर्जी प्रमाण पत्र का मामला
बिहार में फर्जी प्रमाण पत्र घोटाला: मसौढ़ी से शुरू हुआ आवासीय प्रमाण पत्र में फर्जीवाड़े का मामला अब व्यापक रूप ले चुका है। राज्य सरकार जहां SIR योजना के तहत तकनीकी सुधारों की बात कर रही है, वहीं दूसरी ओर उसी तकनीक का दुरुपयोग कर प्रशासनिक प्रणाली को मजाक बना दिया गया है।
यह मामला तब सामने आया जब पटना के मसौढ़ी अंचल कार्यालय से 'डॉगी बाबू' के नाम से एक आवासीय प्रमाण पत्र जारी किया गया। इस प्रमाण पत्र में डॉगी की तस्वीर और माता-पिता के नाम 'डॉगी की मम्मी' और 'डॉगी के पापा' दर्ज थे। जैसे ही इस कागजात की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुईं, बिहार की प्रशासनिक कार्यशैली पर सवाल उठने लगे।
तीन अधिकारियों का निलंबन
तीन अधिकारी निलंबित
जांच में यह स्पष्ट हुआ कि इस गंभीर लापरवाही के लिए अंचल कार्यालय के कार्यपालक सहायक मिंटू कुमार, अनिल कुमार और आशीष कुमार जिम्मेदार पाए गए। इन तीनों को निलंबित कर उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया गया है। पटना के जिलाधिकारी डॉ. त्यागराजन ने IT विभाग की टीम के साथ मसौढ़ी अंचल कार्यालय का दौरा किया।
फर्जी आवेदनों की बाढ़
आवेदन में लगी थी कुत्ते की फोटो
जैसे ही राज्य सरकार ने सभी जिलों को प्रमाण पत्रों की जांच का आदेश दिया, फर्जी आवेदनों की एक श्रृंखला सामने आई। नवादा के सिरदला अंचल में 'डोगेश बाबू' नामक आवेदन मिला, जिसमें पिता का नाम 'डोगेश के पापा' और माता का नाम 'डोगेश की मम्मी' लिखा गया था। इस आवेदन में कुत्ते की तस्वीर लगी थी। वहीं, मधेपुरा से एक प्रमाण पत्र में आवेदक का नाम 'फोन', पिता का नाम 'मोबाइल' और माता का नाम 'बैटरी' दर्ज है। समस्तीपुर से एक आवेदन में आवेदक का नाम 'पैशन प्रो', पिता का नाम 'अपाचे बाइक एजेंसी' और मां का नाम 'पट्रोल' लिखा गया है।
मोतिहारी के कोटवा अंचल में तो स्थिति और भी हास्यास्पद हो गई। यहां भोजपुरी अभिनेत्री मोनालिसा की तस्वीर के साथ आवेदक का नाम 'सोनालिका ट्रैक्टर', पिता का नाम 'स्वराज ट्रैक्टर' और माता का नाम 'कार देवी' लिखा गया। निवास स्थान छौड़ादानो, पूर्वी चंपारण दर्शाया गया। इन मामलों में संबंधित थाना क्षेत्रों में प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है। मोतिहारी एसपी सवर्ण प्रभात के आदेश पर विशेष टीम जांच में जुट गई है।
भविष्य की कार्रवाई
अब क्या कदम उठाए गए?
इस मामले के उजागर होने के बाद संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों को बर्खास्त किया गया है। बिहार सरकार एक ओर डिजिटल सेवाओं को बढ़ावा दे रही है, वहीं दूसरी ओर कुछ शरारती तत्वों ने प्रशासन को कठघरे में खड़ा कर दिया है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह कार्रवाई केवल कर्मचारियों तक सीमित रहती है या इन फर्जीवाड़ों के पीछे की असली 'डिजिटल गैंग' तक भी पहुंचती है।