बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण पर विपक्ष का प्रदर्शन, कई नेता हिरासत में
विपक्षी सांसदों का मार्च
नई दिल्ली। बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के मुद्दे पर सोमवार को विपक्षी दलों के सांसद सड़कों पर उतरे। लगभग तीन सौ सांसदों ने एसआईआर के खिलाफ और वोट चोरी के आरोपों के तहत चुनाव आयोग के कार्यालय की ओर मार्च किया। इस दौरान सुरक्षा बलों के साथ उनकी झड़प भी हुई, जिसमें राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा, और अखिलेश यादव समेत कई विपक्षी नेताओं को हिरासत में लिया गया। हालांकि, दो घंटे बाद सभी नेताओं को रिहा कर दिया गया।
पुलिस की बैरिकेडिंग का विरोध
जब विपक्षी सांसद संसद भवन से चुनाव कार्यालय की ओर बढ़े, तो पुलिस ने उन्हें ट्रांसपोर्ट भवन के पास बैरिकेडिंग लगाकर रोक दिया। इस पर नारेबाज़ी तेज़ हो गई और सांसद आक्रामक हो गए। राहुल, प्रियंका और अखिलेश यादव के साथ तृणमूल कांग्रेस, डीएमके, और राजद के नेता भी बैरिकेडिंग के पास खड़े होकर नारेबाजी करने लगे। आम आदमी पार्टी के संजय सिंह भी इस प्रदर्शन में शामिल हुए, हालांकि उनकी पार्टी हाल ही में 'इंडिया' ब्लॉक से अलग होने की घोषणा कर चुकी है।
अखिलेश यादव का बैरिकेडिंग पार करना
प्रदर्शन के दौरान सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सबसे पहले बैरिकेडिंग को पार किया। उन्होंने बैरिकेडिंग के ऊपर चढ़कर दूसरी ओर कूदने का प्रयास किया, जिसके बाद अन्य सांसदों ने भी ऐसा ही किया। इसके बाद पुलिस ने विपक्षी नेताओं को हिरासत में लेना शुरू कर दिया। उस समय सांसद जमीन पर बैठ गए और बाद में उन्हें बस में बैठाकर संसद मार्ग थाने ले जाया गया।
राहुल गांधी का बयान
हिरासत में लिए जाने के बाद राहुल गांधी ने कहा कि यह संविधान की रक्षा की लड़ाई है। उन्होंने कहा, 'यह एक व्यक्ति एक वोट की लड़ाई है, इसलिए हमें स्पष्ट वोटर लिस्ट की आवश्यकता है।' कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि सरकार डरी हुई और कायर है। प्रदर्शन के दौरान तृणमूल की सांसद मिताली बाग और महुआ मोइत्रा की तबीयत बिगड़ गई और वे बेहोश हो गईं। राहुल गांधी और अन्य सांसदों ने उनकी मदद की।
संसद में हंगामा
इससे पहले, संसद के दोनों सदनों में एसआईआर के मुद्दे पर भारी हंगामा हुआ। हंगामे के बाद सभी सांसद मकर द्वार पर इकट्ठा हुए और मार्च शुरू किया। सांसदों के हाथों में 'वोट बचाओ' के बैनर थे। दूसरी ओर, दिल्ली पुलिस ने कहा कि 'इंडिया' ब्लॉक ने मार्च के लिए कोई अनुमति नहीं मांगी थी, इसलिए चुनाव आयोग के कार्यालय जाने से पहले ही उन्हें बैरिकेडिंग लगाकर रोक दिया गया।