बिहार में मतदाता सूची में बड़े बदलाव: 65 लाख नाम हटाए गए, क्या देशभर में होगा असर?
बिहार में मतदाता सूची का अद्यतन
Indian voter list update : बिहार में चल रही Systematic Voters' List Revision (SIR) प्रक्रिया ने चुनाव प्रणाली में महत्वपूर्ण बदलाव की संभावना को जन्म दिया है। हाल के आंकड़ों के अनुसार, राज्य में लगभग 65 लाख मतदाताओं के नाम सूची से हटा दिए गए हैं। इनमें मृत व्यक्ति, दोहरी इपिक (EPIC) रखने वाले, स्थानांतरित नागरिक और बांग्लादेश तथा नेपाल जैसे देशों से आए कुछ विदेशी नागरिक शामिल हैं।
देशभर में 15 करोड़ नाम हटने का अनुमान
देशभर में 15 करोड़ नाम हटने का अनुमान
बिहार में लगभग 10% मतदाताओं के नाम हटाए जाने के चलते, विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि यह प्रक्रिया पूरे देश में लागू होती है, तो लगभग 15 करोड़ नाम हटाए जा सकते हैं। वर्तमान में देश की मतदाता सूची में लगभग 100 करोड़ नाम हैं। यह ध्यान देने योग्य है कि 2003 से 2005 के बीच ही अंतिम बार बड़े पैमाने पर SIR प्रक्रिया हुई थी, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह प्रक्रिया काफी समय से लंबित थी।
अन्य राज्यों पर प्रभाव
इन राज्यों में हो सकता है बड़ा असर
सूत्रों के अनुसार, बिहार जैसी स्थिति अन्य राज्यों में भी देखने को मिल सकती है, विशेषकर उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल और ओडिशा में। इन राज्यों में स्थानांतरण, दोहरी एंट्री और घुसपैठ के मामलों की अधिकता है, जिससे हटाए जाने वाले नामों की संख्या बिहार से भी अधिक हो सकती है।
बिहार में आंकड़ों का विश्लेषण
बिहार में आंकड़े क्या कहते हैं?
SIR प्रक्रिया से पहले बिहार में मतदाताओं की कुल संख्या 7.89 करोड़ थी, जो ड्राफ्ट सूची में घटकर 7.24 करोड़ रह गई। पहले चरण में 65 लाख मतदाताओं को सूची से बाहर किया गया। इसके अलावा, तीन लाख से अधिक लोगों को संदिग्ध नागरिकता के आधार पर नोटिस दिया गया, और दावे-आपत्तियों की प्रक्रिया में भी तीन लाख से अधिक आपत्तियां नाम हटाने के पक्ष में दर्ज की गईं।
अंतिम सूची में और भी बदलाव
अंतिम सूची से और भी नाम हटने की संभावना
ड्राफ्ट सूची पर दावे-आपत्तियों की प्रक्रिया अभी जारी है, और यह अनुमान लगाया जा रहा है कि अंतिम सूची में और भी मतदाता बाहर हो सकते हैं। कुल मिलाकर 10% मतदाता सूची से बाहर हो सकते हैं, लेकिन इस पर अंतिम स्थिति 30 सितंबर को स्पष्ट होगी, जब फाइनल मतदाता सूची जारी की जाएगी।
मतदान प्रतिशत में संभावित वृद्धि
मतदान प्रतिशत में उछाल की संभावना
चुनाव आयोग से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि यह शुद्धिकरण प्रक्रिया मतदान प्रतिशत में भी बड़ा बदलाव ला सकती है। 2024 के आम चुनावों में लगभग 66% मतदान दर्ज किया गया था, जबकि यदि सूची से 15 करोड़ नाम हटने के बाद कुल मतदाता 85 करोड़ रह जाते हैं, तो मतदान प्रतिशत बढ़कर 77% तक जा सकता है। यह आंकड़ा न केवल चुनावी सटीकता बढ़ाएगा, बल्कि लोकतंत्र में नागरिक भागीदारी को भी अधिक स्पष्ट रूप से दर्शाएगा।
SIR प्रक्रिया का महत्व
SIR प्रक्रिया केवल सूची शुद्धिकरण का माध्यम नहीं है, बल्कि यह देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को पारदर्शी और भरोसेमंद बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। यदि इसे पूरे देश में ईमानदारी से लागू किया जाता है, तो यह न केवल फर्जी मतदान की आशंकाओं को समाप्त करेगा, बल्कि वास्तविक मतदान प्रतिशत को भी अधिक प्रामाणिक बनाएगा।