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बिहार में महागठबंधन की सीट बंटवारे की तैयारी, प्रियंका गांधी की रैली के बाद होगा फैसला

बिहार में विपक्षी दलों के महागठबंधन में सीट बंटवारे की चर्चा जोरों पर है। प्रियंका गांधी वाड्रा की मोतिहारी रैली के बाद सभी पार्टियों के बीच सहमति बनने की संभावना है। जानिए किस पार्टी को कितनी सीटें मिल सकती हैं और क्या बदलाव हो सकते हैं।
 

महागठबंधन में सीट बंटवारे की चर्चा

बिहार में विपक्षी दलों के महागठबंधन में हलचल तेज हो गई है। सभी पार्टियां अपनी ताकत दिखाने में जुटी हैं और कोई भी अपनी सीटों की मांग से पीछे हटने को तैयार नहीं है। हालांकि, एक व्यावहारिक समाधान की ओर बढ़ने की संभावना जताई जा रही है, जिसके तहत सीटों का बंटवारा किया जाएगा। सूत्रों के अनुसार, प्रियंका गांधी वाड्रा की मोतिहारी रैली के बाद, यानी 26 सितंबर के बाद, सभी दल सीट बंटवारे पर सहमति बना सकते हैं।


जानकारों का कहना है कि महागठबंधन में शामिल सभी दल अपनी पूर्व मांगों से पीछे हट रहे हैं। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) भी सीटें छोड़ने के लिए तैयार है, जबकि कांग्रेस भी इसी दिशा में कदम बढ़ा रही है। सीपीआई माले को इस प्रक्रिया में सबसे बड़ा लाभ मिलने की संभावना है, क्योंकि उसकी सीटें बढ़ने जा रही हैं। यह पार्टी इकलौती है, जिसकी सीटें बढ़ेंगी। इसके अलावा, इंडियन इन्कलाब पार्टी के नेता आईपी गुप्ता को भी कांग्रेस में शामिल होने के लिए राजी किया गया है।


सीट बंटवारे का संभावित फॉर्मूला

जो फॉर्मूला तैयार हो रहा है, उसके अनुसार राजद ऐतिहासिक रूप से सबसे कम सीटों पर चुनाव लड़ेगा, लगभग 130 सीटों पर। पिछली बार यह पार्टी 144 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। कांग्रेस की सीटें 55 से 60 के बीच रहने की संभावना है, जिसमें आईपी गुप्ता की पार्टी को भी समायोजित किया जाएगा। यदि गुप्ता तीन सीटों पर सहमत होते हैं, तो कांग्रेस 55 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस के दो से तीन उम्मीदवार राजद की टिकट पर चुनाव लड़ सकते हैं।


सीपीआई माले की सीटें 19 से बढ़कर 27 तक पहुंचने की उम्मीद है। माले के प्रमुख दीपांकर भट्टाचार्य ने हाल ही में कहा था कि उनकी पार्टी पिछले चुनाव में 12 जिलों में लड़ी थी और इस बार 20 जिलों में लड़ने की इच्छा रखती है। उनकी मांग को सुना गया है। सीपीआई पहले की तरह छह और सीपीएम चार सीटों पर चुनाव लड़ेगी। मुकेश सहनी की पार्टी को अधिकतम 15 सीटें मिलने की संभावना है, जबकि पशुपति पारस और हेमंत सोरेन की पार्टी को दो-दो सीटें मिल सकती हैं।