×

बिहार में विकास की नई लहर: स्वास्थ्य, सड़कें और शिक्षा में सुधार

बिहार, जो पहले पिछड़ेपन के लिए जाना जाता था, अब तेजी से विकास की ओर बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना और ग्रामीण सड़क योजना के तहत बुनियादी ढांचे में सुधार हो रहा है। पटना मेडिकल कॉलेज का कायाकल्प, सड़क नेटवर्क का विस्तार और शिक्षा में नई पहचान जैसे पहलू इस बदलाव को दर्शाते हैं। जानें कैसे ये सभी पहल राज्य की अर्थव्यवस्था और विकास में योगदान दे रहे हैं।
 

बिहार का नया चेहरा

बिहार, जो कभी पिछड़ेपन के लिए जाना जाता था, अब तेजी से विकास की ओर बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना और ग्रामीण सड़क योजना के तहत राज्य में बुनियादी ढांचे में सुधार हो रहा है।


पटना मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल (पीएमसीएच), जो बिहार के सबसे पुराने अस्पतालों में से एक है, अब आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं से लैस हो चुका है। 200 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से इसका कायाकल्प लगभग पूरा हो चुका है। नए भवन, उन्नत चिकित्सा उपकरण और सुविधाएं इसे एक नए युग का स्वास्थ्य केंद्र बना रही हैं।


भागलपुर के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज और गया के अनुग्रह नारायण मेडिकल कॉलेज का भी कायाकल्प किया जा चुका है, जिन्हें केंद्रीय मंत्री द्वारा उद्घाटन किया गया है।


सड़क नेटवर्क में सुधार

प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत बिहार में 22,500 किमी सड़कों का निर्माण लक्ष्य रखा गया था, लेकिन राज्य ने 28,864 किमी अतिरिक्त सड़कें बनाकर कुल 25,364 किमी का नेटवर्क तैयार किया है। इस परियोजना पर लगभग 19,000 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं, जिससे दूर-दराज के गांवों को मुख्यधारा से जोड़ा गया है।


ऊर्जा क्षेत्र में प्रगति

बरौनी रिफाइनरी का विस्तार 14,810 करोड़ रुपये की लागत से चल रहा है, जो 2026 तक पूरा होगा। बीएस-4 और बीएस-6 ईंधन उत्पादन संयंत्र और लंबी दूरी की गैस पाइपलाइनें बिहार को ऊर्जा सुरक्षा में आत्मनिर्भर बना रही हैं।


एचपीसीएल ने पटना, पूर्णिया और सगौली में एलपीजी प्लांट्स की क्षमता बढ़ाई है, जबकि गेल ने 2,300 करोड़ रुपये की लागत से 617 किमी लंबी गैस पाइपलाइन बिछाई है।


शिक्षा में नई पहचान

बोधगया में 543 करोड़ रुपये की लागत से आईआईएम की स्थापना बिहार को राष्ट्रीय शिक्षा मानचित्र पर एक महत्वपूर्ण स्थान दिला रही है। यहां पढ़ाई शुरू हो चुकी है।


भागलपुर के विक्रमशिला के पास विक्रमशिला केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना की योजना अंतिम चरण में है, जिसकी लागत 500 करोड़ रुपये है।