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बिहार विधानसभा चुनाव 2025: तेजस्वी यादव और प्रियंका गांधी की वोटर अधिकार यात्रा

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों के तहत तेजस्वी यादव और प्रियंका गांधी ने 'वोटर अधिकार यात्रा' शुरू की है। तेजस्वी ने एनडीए पर आरोप लगाया कि वे लोगों के अधिकारों को छीनने की कोशिश कर रहे हैं। प्रियंका गांधी भी इस यात्रा में शामिल होकर राजनीतिक गतिविधियों को बढ़ावा दे रही हैं। जानें इस यात्रा के प्रमुख बिंदु और बिहार की राजनीतिक स्थिति के बारे में।
 

तेजस्वी यादव की यात्रा और एनडीए पर हमला

Bihar Elections 2025: राजद नेता और पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने 'वोटर अधिकार यात्रा' के दौरान कहा कि उनकी पार्टी कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के साथ मिलकर यह यात्रा कर रही है। इस यात्रा के माध्यम से लोग इंडिया ब्लॉक से जुड़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि यात्रा के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि लोग बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर उत्साहित हैं।


तेजस्वी ने महागठबंधन को मिल रहे समर्थन की सराहना की और कहा कि एनडीए इस समर्थन को देखकर बौखला गया है। उन्होंने एनडीए का मतलब बताते हुए कहा कि बिहार में इसका अर्थ है 'नहीं देंगे अधिकार'। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी और जेडीयू लोगों के अधिकारों को छीनने और संविधान को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं। वे लोकतंत्र को खत्म करने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे। आगामी चुनावों में जनता उन्हें उचित जवाब देगी।


प्रियंका गांधी की दो दिवसीय यात्रा

प्रियंका गांधी का बिहार दौरा


कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी भी आज से बिहार में दो दिन की 'वोटर अधिकार यात्रा' पर हैं। बिहार में कुल 243 विधानसभा सीटें हैं और इस साल के अंत तक चुनाव होने की संभावना है। राजनीतिक गतिविधियाँ तेज हो गई हैं, जहां राजद नेता तेजस्वी यादव और कांग्रेस नेता राहुल गांधी अपने-अपने वोट बैंक को आकर्षित करने के लिए यात्राएं कर रहे हैं। हाल ही में दोनों नेता एक साथ यात्रा करते हुए देखे गए।


वोटर अधिकार यात्रा का 10वां दिन

तेलंगाना के सीएम का सुपौल दौरा


आज बिहार में वोटर अधिकार यात्रा का 10वां दिन है, और यह यात्रा सुपौल में पहुंचेगी। तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी भी इस यात्रा में शामिल होंगे। विधानसभा चुनाव से पहले SIR का मुद्दा चर्चा में है, और विपक्ष इस पर लगातार बयान दे रहा है। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में भी विचाराधीन है, जहां हाल ही में कोर्ट ने कहा था कि प्रारूप मतदाता सूची में नाम जोड़ने और सुधार की प्रक्रिया में राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी तय होगी। मान्यता प्राप्त दलों को इस मामले में प्रतिवादी बनाया जाएगा।