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बिहार विधानसभा चुनाव 2025: राजनीतिक हलचल और नई चुनौतियाँ

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियाँ तेज हो गई हैं, जिसमें राजनीतिक दलों के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिलेगा। NDA और इंडिया ब्लॉक के बीच चुनावी लड़ाई के साथ-साथ कांग्रेस की रणनीति और नीतीश सरकार की लोकलुभावन योजनाएं भी चर्चा का विषय हैं। चुनाव आयोग की आगामी यात्रा और कांग्रेस की कार्य समिति की बैठक से चुनावी माहौल और भी गरमाने की संभावना है। इस बार के चुनावों में अपराध, बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दे प्रमुख रहेंगे, जो बिहार की राजनीतिक दिशा को प्रभावित करेंगे।
 

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारी

Bihar Assembly Election 2025 : बिहार में अक्टूबर-नवंबर 2025 में होने वाले विधानसभा चुनावों की तैयारियाँ तेजी से चल रही हैं। चुनाव आयोग की संभावना है कि वह अगले महीने बिहार का दौरा करेगा, जो चुनावी तारीखों की घोषणा से पहले की परंपरा है। इससे यह संकेत मिलता है कि चुनावी कार्यक्रम की घोषणा जल्द ही हो सकती है, जो चुनावी माहौल को और भी गर्माएगा।


NDA और इंडिया ब्लॉक के बीच मुकाबला

NDA और इंडिया ब्लॉक के बीच चुनावी मुकाबला
बिहार की विधानसभा में कुल 243 सदस्य हैं, जिनमें राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के पास 131 विधायक हैं। इसमें भाजपा के 80, जेडीयू के 45, और हम (सेक्युलर) के 4 सदस्य शामिल हैं, साथ ही दो स्वतंत्र विधायक भी एनडीए का समर्थन करते हैं। विपक्षी गठबंधन इंडिया ब्लॉक में 111 सदस्य हैं, जिनमें राजद के 77, कांग्रेस के 19, और वामपंथी पार्टियों के सदस्य शामिल हैं। एनडीए सत्ता बनाए रखने की कोशिश करेगा, जबकि इंडिया ब्लॉक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को हटाने की योजना बना रहा है। दोनों गठबंधनों के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिलेगा, जो बिहार की राजनीति में बदलाव ला सकता है.


कांग्रेस की चुनावी रणनीति

कांग्रेस की रणनीति और आगामी कार्य समिति बैठक
चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी ने अपनी तैयारियों को तेज कर दिया है। 24 सितंबर को पटना में कांग्रेस की कार्य समिति (CWC) की बैठक प्रस्तावित है, जिसमें पार्टी के प्रमुख नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी समेत अन्य महत्वपूर्ण नेता शामिल होंगे। इस बैठक में पार्टी की चुनावी रणनीति, बढ़ते अपराध, बेरोजगारी, महंगाई और वोट चोरी जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी। कांग्रेस इस बैठक के माध्यम से बिहार के मतदाताओं के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने का प्रयास करेगी और विपक्षी दल के रूप में अपनी भूमिका को प्रभावी बनाएगी.


नीतीश सरकार की योजनाएं

नीतीश सरकार की लोकलुभावन योजनाएं
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चुनाव से पहले जनता के बीच अपनी लोकप्रियता बढ़ाने के लिए कई योजनाओं की घोषणा की है। इनमें मुफ्त बिजली योजना और 10,000 'विकास मित्रों' की नियुक्ति शामिल है, जो गांवों में अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों को सरकारी योजनाओं से जोड़ेंगे। इसके अलावा, सरकार ने 30,000 से अधिक शिक्षा सेवकों और तालिमी मरकज़ के लिए 10,000 रुपये की सहायता देने का निर्णय लिया है, जिससे वे स्मार्टफोन खरीदकर बच्चों को औपचारिक शिक्षा से जोड़ सकें। इन कदमों का उद्देश्य पिछड़े और कमजोर वर्गों को विकास की मुख्यधारा में लाना है और चुनावी समर्थन प्राप्त करना है.


चुनावी माहौल और चुनौतियाँ

चुनावी माहौल और भविष्य की चुनौतियां
बिहार में चुनावी माहौल गरमाया हुआ है और राजनीतिक दल अपने-अपने समर्थन बढ़ाने के लिए सक्रिय हैं। चुनाव आयोग की आगामी यात्रा, कांग्रेस की रणनीतिक बैठक, और सरकार की नई योजनाएं सभी मिलकर चुनावी लड़ाई को और भी जटिल बना रही हैं। इस बार के चुनावों में अपराध, बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दे भी प्रमुख रहेंगे। बिहार के मतदाता इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर मतदान करेंगे, जो भविष्य में राज्य की राजनीतिक दिशा तय करेगा। कुल मिलाकर, बिहार की राजनीति इस चुनाव से एक नई दिशा लेने की संभावना रखती है.