बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारी: प्रवासी बिहारी और भाजपा की रणनीतियाँ
बिहार में चुनावी प्रक्रिया की शुरुआत
बिहार में विधानसभा चुनाव नवंबर में आयोजित होने वाले हैं। हालांकि, चुनावी प्रक्रिया अक्टूबर से शुरू हो जाएगी और इससे पहले सितंबर में चुनाव की आधिकारिक घोषणा की जा सकती है। इस वर्ष दिवाली अक्टूबर के अंत में है और छठ महापर्व नवंबर के पहले सप्ताह में मनाया जाएगा। इस अवसर पर बड़ी संख्या में प्रवासी बिहारी अपने गांव लौटते हैं, जिससे यह उम्मीद की जा रही है कि वे वोटिंग के लिए भी रुकेंगे। इसी को ध्यान में रखते हुए भाजपा, बिहार सरकार और केंद्र सरकार ने प्रवासी बिहारियों की यात्रा को सुगम बनाने के लिए कई उपायों की घोषणा की है। नीतीश कुमार की सरकार ने दिल्ली, कोलकाता जैसे महानगरों से बिहार तक चलने के लिए सैकड़ों एसी और नॉन एसी बसों की खरीद का ऐलान किया है। इसके साथ ही रेलवे ने भी अतिरिक्त ट्रेनें चलाने की योजना बनाई है ताकि लोगों की यात्रा आसान हो सके। सरकार को यह समझ में है कि यदि लोग असुविधा का सामना करते हैं, तो इसका असर चुनाव में देखने को मिल सकता है।
भाजपा की रणनीतियाँ और प्रवासी बिहारी
इसी दिशा में भारतीय जनता पार्टी ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ अभियान की शुरुआत की थी और ‘स्नेह मिलन’ का आयोजन किया था। भाजपा के नेता देश के डेढ़ सौ शहरों में प्रवासी बिहारियों के साथ स्नेह मिलन कार्यक्रम में शामिल हुए। लेकिन हाल ही में इस कार्यक्रम में अचानक कमी आई है और प्रवासी बिहारियों को वापस लाने में भी उत्साह कम दिखाई दे रहा है। जानकार सूत्रों के अनुसार, स्नेह मिलन के दौरान मिली फीडबैक में यह बात सामने आई है कि कई प्रवासी बिहारी प्रशांत किशोर के एजेंडे में रुचि दिखा रहे थे। वे उनके बारे में अधिक जानने के इच्छुक थे। ध्यान देने योग्य है कि प्रशांत किशोर ने कहा है कि यदि उनकी सरकार बनती है, तो वह पलायन को रोकने, बिहार में रोजगार देने और शिक्षा की व्यवस्था करने का वादा कर रहे हैं। भाजपा को चिंता है कि यदि प्रवासी बिहारी प्रशांत किशोर की तारीफ करने लगे और उनके एजेंडे पर चर्चा करने लगे, तो चुनाव में भाजपा को कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।