बिहार सरकार के गठन में क्षेत्रीय असंतुलन की चर्चा
नीतीश कुमार की नई सरकार का गठन
बिहार में नीतीश कुमार की सरकार के गठन को लेकर कई बातें सामने आ रही हैं। यह बताया जा रहा है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 19 नवंबर की शाम को पटना पहुंचकर मंत्रिमंडल के गठन पर गहन विचार-विमर्श किया। हालांकि, इस प्रक्रिया में क्षेत्रीय असंतुलन स्पष्ट रूप से नजर आ रहा है।
पूर्वी चंपारण, जो बिहार का दूसरा सबसे बड़ा जिला है, का कोई प्रतिनिधित्व नहीं मिला है, जबकि इस जिले की 12 में से 11 सीटें एनडीए ने जीती हैं, जिनमें से नौ सीटें भाजपा ने अपने नाम की हैं। इसके बावजूद भाजपा ने इस क्षेत्र से किसी को मंत्री नहीं बनाया। जनता दल यू ने भी अपने दो विधायकों में से किसी को मंत्री नहीं बनाया।
मिथिलांचल क्षेत्र का प्रतिनिधित्व भी काफी कम है, जहां भाजपा ने अपने 14 मंत्रियों में से केवल एक मंत्री खजौली के अरुण प्रसाद को बनाया। इसके विपरीत, भाजपा ने पश्चिम चंपारण से एक मंत्री और मुजफ्फरपुर से दो मंत्रियों को शामिल किया। सारण जिले में भी असंतुलन देखने को मिला है, जहां भाजपा ने दो और जदयू ने एक मंत्री बनाया।
पटना जिले से भाजपा ने दो मंत्रियों को चुना है, जबकि मगध और शाहबाद क्षेत्रों को इस बार अधिक प्रतिनिधित्व दिया गया है। पूर्वांचल और अंग प्रदेश को भी महत्व दिया गया है, जहां दोनों उप मुख्यमंत्री और केंद्र सरकार के कैबिनेट मंत्री भी इसी क्षेत्र से हैं। हालांकि, अभी भी 10 मंत्री पद खाली हैं, और भविष्य में इस असंतुलन को दूर करने की संभावना है।