×

बीजद ने उपराष्ट्रपति चुनाव में दूरी बनाने का लिया निर्णय

बीजू जनता दल (BJD) ने उपराष्ट्रपति चुनाव में मतदान से दूरी बनाने का निर्णय लिया है। पार्टी ने स्पष्ट किया है कि उसका ध्यान ओडिशा के विकास और जनता की भलाई पर है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बीजद की यह रणनीति न्यूट्रल रहने की है, जिससे वह किसी भी पक्ष को नाराज नहीं करना चाहती। पिछले विधानसभा चुनाव में हार के बाद, बीजद अब विपक्षी दल की भूमिका निभा रही है और केंद्र की राजनीति में संतुलन बनाए रखना चाहती है।
 

उपराष्ट्रपति चुनाव में बीजद की स्थिति

उपराष्ट्रपति चुनाव: बीजू जनता दल (BJD) ने उपराष्ट्रपति चुनाव से पहले एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए मतदान से दूरी बनाने का फैसला किया है। बीजद सांसद सास्मित पात्रा ने इस बात की आधिकारिक पुष्टि की है कि पार्टी न तो एनडीए का समर्थन करेगी और न ही विपक्षी गठबंधन इंडिया का। बीजद ने स्पष्ट किया है कि उसका प्राथमिक ध्यान ओडिशा के विकास और राज्य की 4.5 करोड़ जनता की भलाई पर है, जो उसका एकमात्र एजेंडा है।


पार्टी के प्रमुख नवीन पटनायक के दिल्ली पहुंचने के बाद बीजद ने अपनी स्थिति को स्पष्ट किया। हालांकि, राजनीतिक हलकों में पहले से ही यह अटकलें थीं कि बीजद इस चुनाव से दूरी बना सकती है। अंततः 9 सितंबर को होने वाले उपराष्ट्रपति चुनाव में बीजद की अनुपस्थिति की पुष्टि हो गई।


बीजद की रणनीति के पीछे का कारण

बीजद की इस रणनीति की वजह


राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बीजद की यह रणनीति पूरी तरह से न्यूट्रल रहने की है। पार्टी न तो एनडीए को नाराज करना चाहती है और न ही विपक्षी खेमे में पूरी तरह शामिल होना चाहती है। पिछले उपराष्ट्रपति चुनाव में बीजद ने एनडीए उम्मीदवार का समर्थन किया था, लेकिन इस बार उसने किसी पक्ष में खड़े होने के बजाय दूरी बनाए रखना ही उचित समझा।


राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव

बदलते राजनीतिक हालात


बीजद के इस रुख को उसके बदलते राजनीतिक हालात से भी जोड़ा जा रहा है। पिछले विधानसभा चुनाव में बीजद को हार का सामना करना पड़ा और भाजपा ने ओडिशा में सत्ता हासिल कर ली। इस स्थिति में बीजद अब विपक्षी दल की भूमिका निभा रहा है और उसके लिए केंद्र की राजनीति में संतुलन बनाए रखना महत्वपूर्ण हो गया है। यही कारण है कि पार्टी इस बार किसी खेमे में खुलकर नहीं जा रही।


स्थायी रूप से शामिल होने का निर्णय

स्थायी रूप से शामिल होने का फैसला


बीजद का इतिहास भी यही दर्शाता है कि उसने कभी खुलकर सत्ता पक्ष या विपक्ष में स्थायी रूप से शामिल होने का निर्णय नहीं लिया। 2012 में बीजद ने उपराष्ट्रपति चुनाव में भाग नहीं लिया था, जबकि 2017 में पार्टी ने गैर-राजग उम्मीदवार गोपालकृष्ण गांधी का समर्थन किया था। हालांकि, उस चुनाव में वेंकैया नायडू विजयी रहे थे। 2022 में बीजद ने एनडीए उम्मीदवार जगदीप धनखड़ का समर्थन किया था, जो उपराष्ट्रपति चुने गए। इस बार बीजद का तटस्थ रहना राष्ट्रीय राजनीति में उसकी पुरानी नीति की पुनरावृत्ति माना जा रहा है। पार्टी का संदेश स्पष्ट है कि उसका ध्यान केवल ओडिशा पर है और राष्ट्रीय गठबंधनों से फिलहाल दूरी ही उसके लिए सही रणनीति है।