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बेंगलुरु में विध्वंस अभियान पर राजनीतिक विवाद: कांग्रेस और भाजपा के बीच टकराव

बेंगलुरु के बाहरी इलाके में हाल ही में हुए विध्वंस अभियान ने राजनीतिक हलकों में विवाद खड़ा कर दिया है। कांग्रेस के भीतर मतभेदों के साथ-साथ भाजपा की तीखी आलोचना भी सामने आई है। भाजपा ने इसे कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व द्वारा राज्य पर दबाव डालने का प्रयास बताया है। इस विवाद की शुरुआत तब हुई जब कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने बेदखली के मामले में हस्तक्षेप किया। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भूमि की अनुपयुक्तता का हवाला देते हुए विध्वंस को आवश्यक बताया। जानिए इस राजनीतिक टकराव के सभी पहलुओं के बारे में।
 

विध्वंस अभियान का राजनीतिक प्रभाव


बेंगलुरु के बाहरी क्षेत्र में हाल ही में किए गए विध्वंस अभियान ने राजनीतिक जगत में हलचल मचा दी है। इस कार्रवाई ने कांग्रेस के भीतर मतभेदों को उजागर किया है और भाजपा ने इसे तीखे शब्दों में आलोचना की है। भाजपा का कहना है कि यह कदम कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व द्वारा राज्य पर दबाव डालने का प्रयास है, जिसे दिल्ली के आदेशों के तहत राज्य के संचालन का एक उदाहरण माना जा रहा है।


विवाद की उत्पत्ति

यह विवाद तब शुरू हुआ जब कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने येलाहांका के निकट कोगिलु गांव में निवासियों की बेदखली के मामले में हस्तक्षेप किया। इस कार्रवाई के कारण कई परिवारों को विस्थापित होना पड़ा, जिससे स्थानीय लोगों और राजनीतिक संगठनों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए।


वेणुगोपाल ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार से बातचीत की और विध्वंस के तरीके पर अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि शासन के निर्णयों में मानवीय पहलुओं को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।


भाजपा की प्रतिक्रिया

भाजपा ने इस हस्तक्षेप को कांग्रेस की 'हाई कमांड संस्कृति' का उदाहरण बताया। वरिष्ठ भाजपा नेता आर अशोक ने वेणुगोपाल पर राज्य प्रशासन में दखल देने का आरोप लगाया और इसे संघवाद का अपमान कहा। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि क्या राज्य सरकारें दिल्ली के निर्देशों के अनुसार कार्य कर रही हैं।


भाजपा के राज्य अध्यक्ष बी.वाई. विजयेंद्र ने आरोप लगाया कि कांग्रेस में सत्ता संघर्ष ने निर्णय लेने की प्रक्रिया को हाई कमान के हाथों में केंद्रित कर दिया है, जिससे कर्नाटक की जनता के चुनावी अधिकारों की अनदेखी हो रही है।


स्थानीय विरोध

जमीनी स्तर पर विरोध प्रदर्शन भी बढ़ गए हैं। सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) और स्थानीय निवासियों ने सरकार पर आरोप लगाया है कि वह बिना पर्याप्त विकल्पों के कमजोर परिवारों को बेदखल कर रही है। एसडीपीआई महासचिव मुजाहिद पाशा ने कहा कि कांग्रेस वही नीति अपना रही है जिसका उसने पहले विरोध किया था।


मुख्यमंत्री का बयान

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि कोगिलु क्षेत्र का भूमि हिस्सा मानव आवास के लिए अनुपयुक्त था और कई बार नोटिस देने के बावजूद कुछ निवासियों ने अनुपालन नहीं किया, जिससे बेदखली आवश्यक हो गई। उन्होंने अस्थायी आश्रय, भोजन और अन्य आवश्यक वस्तुओं की व्यवस्था का आदेश दिया। उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा कि विध्वंस का उद्देश्य भूमि माफियाओं से सार्वजनिक संपत्ति की सुरक्षा करना था, न कि किसी विशेष समुदाय को निशाना बनाना।