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बेंगलुरु में हिंदी दिवस समारोह में कन्नड़ समर्थकों का हंगामा

बेंगलुरु में हिंदी दिवस समारोह के दौरान कन्नड़ समर्थकों ने हंगामा किया, जिसके परिणामस्वरूप पुलिस ने 41 कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया। यह कार्यक्रम गृह मंत्रालय की राजभाषा समिति द्वारा आयोजित किया गया था, जिसका उद्देश्य हिंदी भाषा को बढ़ावा देना था। कार्यकर्ताओं ने हिंदी थोपने का आरोप लगाते हुए नारेबाजी की। जानें इस विवाद के पीछे की पूरी कहानी और राज्य में हिंदी भाषा को लेकर चल रहे संवेदनशील मुद्दों के बारे में।
 

बेंगलुरु में हिंदी दिवस पर विवाद

बेंगलुरु हिंदी दिवस विवाद: कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में शुक्रवार को हिंदी दिवस के आयोजन के दौरान बड़ा हंगामा हुआ। इस घटना में कन्नड़ समर्थक 41 कार्यकर्ताओं को पुलिस ने गिरफ्तार किया। ये कार्यकर्ता एक फाइव स्टार होटल में चल रहे हिंदी दिवस समारोह में घुसकर नारेबाजी करने लगे।


सूत्रों के अनुसार, यह कार्यक्रम गृह मंत्रालय की राजभाषा समिति द्वारा आयोजित किया गया था, जिसमें छह सांसद भी शामिल हुए थे। इसका मुख्य उद्देश्य हिंदी भाषा को बढ़ावा देना था। पुलिस ने बताया कि यह बैठक 23 से 25 सितंबर तक होटल स्थित रेस कोर्स रोड पर आयोजित की गई थी। अंतिम दिन, सुबह 10:45 से 11 बजे के बीच लगभग 30 से 40 कार्यकर्ता अचानक होटल में घुस आए और कार्यक्रम को बाधित कर दिया।


कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया

आरोपियों ने लगाए नारे


आरोपियों ने नारे लगाते हुए कहा कि यह बैठक गैर-हिंदी भाषी राज्यों पर हिंदी थोपने का प्रयास है। उन्होंने कार्यक्रम का विरोध करते हुए हिंदी के विस्तार पर आपत्ति जताई। पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए सभी आरोपियों को हिरासत में लिया और स्थिति को नियंत्रित किया।


अधिकारियों के वेतन पर चर्चा

अधिकारियों को अधिक वेतन देने पर चर्चा


पुलिस के अनुसार, सभी 41 कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया गया, जहां उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। कर्नाटक रक्षा वेदिका ने कहा कि सेमिनार में हिंदी के विस्तार और उन अधिकारियों को अधिक वेतन देने पर चर्चा हो रही थी, जो हिंदी में दक्ष हैं। संगठन का आरोप है कि केंद्र सरकार के दफ्तरों में इस तरह की नीतियों से कर्नाटक में हिंदी थोपने की कोशिश की जा रही है। पुलिस ने अतिरिक्त बल की तैनाती कर स्थिति को नियंत्रित किया और कार्यक्रम को निर्धारित समय पर पूरा किया। राज्य में लंबे समय से हिंदी भाषा को लेकर संवेदनशीलता बनी हुई है और समय-समय पर इस तरह के विरोध प्रदर्शन होते रहे हैं.