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बैंक होम लोन ब्याज दरों में कटौती में देरी, ग्राहकों को हो रही परेशानी

आरबीआई द्वारा ब्याज दरों में कटौती के बावजूद, बैंकों ने ग्राहकों को अपेक्षित राहत नहीं दी है। सरकारी बैंकों ने केवल 0.25% की कटौती की है, जबकि निजी बैंकों ने कोई बदलाव नहीं किया है। इस देरी के कारण ग्राहकों पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि बैंक मौजूदा ग्राहकों को लाभ देने में संकोच कर रहे हैं। जानें इस स्थिति का क्या असर हो रहा है और ग्राहकों को क्या करना चाहिए।
 

बैंक होम लोन ब्याज दरों में कटौती का असर

बैंक होम लोन ब्याज दरों में कटौती का असर: आरबीआई ने पिछले पांच वर्षों में लगातार दो बार ब्याज दरों में 0.5% की कमी की है। इससे लोगों को उम्मीद थी कि होम और कार लोन की ईएमआई में राहत मिलेगी। लेकिन बैंकों ने इसका पूरा लाभ नहीं दिया।


सरकारी बैंकों ने ग्राहकों को होम लोन की दरों में केवल 0.25% की कटौती की है। वहीं, कार लोन में कोई कटौती नहीं की गई है। निजी बैंकों ने अब तक आवास और कार दोनों के कर्ज की दरों में कोई बदलाव नहीं किया है।


ब्याज दरों में कमी का कारण क्या है?


कर्ज लेने वाले ग्राहक अब अपने बैंकों से पूछ रहे हैं कि ईएमआई कब घटेंगी। बैंकों के प्रतिनिधियों के पास इस सवाल का कोई स्पष्ट उत्तर नहीं है। देश में होम लोन के 2.2 करोड़ और कार लोन के 60 लाख सक्रिय ग्राहक हैं।


पिछले चार महीनों में बैंकों ने केवल एक बार अपनी कर्ज की दरों में कटौती की है। वे दावा कर रहे हैं कि जल्द ही और कटौती करेंगे। लेकिन इस देरी के कारण होम लोन ग्राहकों पर 1760 करोड़ रुपए और ऑटो लोन ग्राहकों पर 105 करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है।


विशेषज्ञों का मानना है कि बैंक फंड की लागत बढ़ने का बहाना बनाकर मौजूदा ग्राहकों के कर्ज की दर में ज्यादा बदलाव नहीं करेंगे। वे केवल नए ग्राहकों को त्योहारी सीजन में लाभ देने की योजना बना रहे हैं।


ब्याज दरों का आंकड़ा


ब्याज दरें वित्तीय सलाहकार फर्म बैंक बाजार और पैसा बाजार के आधार पर भिन्न हो सकती हैं। ये दरें लोन अवधि, क्रेडिट स्कोर और विशेष योजनाओं के आधार पर अलग-अलग होती हैं।


हर महीने 1600 रुपए का लाभ


• 20 साल के लिए 50 लाख रुपए के होम लोन पर 0.25% की कटौती से ईएमआई में अधिकतम 1600 रुपए का लाभ होता है। पूरी लोन अवधि में यह लाभ 3.8 लाख रुपए तक पहुंच सकता है।


• आरबीआई के अनुसार, 2023-24 में देश में 25 लाख लोगों ने लगभग 24 लाख करोड़ रुपए का होम लोन लिया। 2024-25 में इसमें 72% की वृद्धि हुई, जिससे लोन लेने वालों की संख्या 28 लाख और राशि लगभग 27 लाख करोड़ रुपए हो गई।


ब्याज दरों में कटौती की बाध्यता


आरबीआई द्वारा की गई ब्याज दरों में कटौती का लाभ ग्राहकों को अंततः मिलेगा, लेकिन इसमें कितना समय लगेगा, यह स्पष्ट नहीं है। बैंकों का तर्क है कि घटती जमा दरों का असर एफडी के नवीनीकरण पर दिखेगा, लेकिन कर्ज की दरों में कटौती का प्रभाव तुरंत नहीं दिखेगा।


इसका परिणाम यह होगा कि उनका नेट इंट्रस्ट मार्जिन घट जाएगा और फंड्स की लागत बढ़ेगी। बैंक इस समायोजन में समय लेते हैं। केंद्र और आरबीआई की ओर से ऐसी कोई बाध्यता नहीं है कि ब्याज दरों में कटौती का लाभ तुरंत दिया जाए।