×

बैंकों में अनक्लेम्ड राशि का आंकड़ा 62,314 करोड़ रुपये तक पहुंचा

भारतीय रिजर्व बैंक ने बताया है कि बैंकों में अनक्लेम्ड राशि का आंकड़ा 62,314 करोड़ रुपये तक पहुंचने वाला है। सरकारी बैंकों में सबसे अधिक राशि जमा है, जिसमें SBI का हिस्सा सबसे बड़ा है। यदि आपके पास कोई पुराना खाता है, तो आप इसे वापस पाने की प्रक्रिया को जान सकते हैं। सरकार ने इस मुद्दे के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए एक अभियान भी शुरू किया है। जानें कैसे आप अपने खोए हुए पैसे को वापस पा सकते हैं।
 

बैंकिंग क्षेत्र में अनक्लेम्ड डिपॉजिट की बढ़ती समस्या

नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में देश के बैंकिंग क्षेत्र में एक चिंताजनक स्थिति का खुलासा किया है। केंद्रीय बैंक के अनुसार, विभिन्न बैंकों में बिना दावे की गई राशि का आंकड़ा 2024 के अंत तक 62,314 करोड़ रुपये को पार कर जाएगा। यह वह धन है जो ऐसे खातों में जमा है, जिनमें पिछले 10 वर्षों से न तो कोई लेन-देन हुआ है और न ही कोई नया पैसा डाला गया है। इस प्रकार के खाते पूरी तरह से निष्क्रिय माने जाते हैं।


सरकारी बैंकों में सबसे अधिक अनक्लेम्ड राशि


आरबीआई की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, इस 'लावारिस' राशि का सबसे बड़ा हिस्सा सरकारी बैंकों के पास है। कुल अनक्लेम्ड राशि में से लगभग 50,900 करोड़ रुपये सरकारी बैंकों में जमा हैं। इनमें सबसे बड़ा हिस्सा स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) का है, जिसके पास करीब 16,968 करोड़ रुपये की अनक्लेम्ड राशि है। पिछले तीन वर्षों में यह समस्या तेजी से बढ़ी है, क्योंकि 2021 में यह आंकड़ा लगभग 31,000 करोड़ रुपये था, जो अब दोगुने से अधिक हो चुका है।


पैसा वापस पाने की प्रक्रिया सरल


यदि आपके या आपके परिवार के किसी सदस्य का पुराना बैंक खाता है, तो उसमें जमा राशि को वापस पाना कठिन नहीं है। इसके लिए खाताधारक, ज्वाइंट अकाउंट होल्डर, नॉमिनी या कानूनी वारिस को संबंधित बैंक शाखा में जाकर आधार कार्ड, पैन कार्ड और पते के प्रमाण जैसे आवश्यक KYC दस्तावेज जमा करने होंगे। बैंक वेरिफिकेशन के बाद, या तो खाता फिर से सक्रिय किया जाएगा, जिससे आप इसका उपयोग कर सकेंगे, या फिर खाता बंद करके पूरी राशि वापस कर दी जाएगी।


सरकार का जागरूकता अभियान


लोगों को उनके खोए हुए या भूले हुए पैसों के बारे में जानकारी देने के लिए सरकार ने 'आपका पैसा, आपका अधिकार' नामक एक जागरूकता अभियान शुरू किया है। इसका उद्देश्य लोगों को अपने पुराने खातों की जांच करने के लिए प्रेरित करना है। आरबीआई के नियमों के अनुसार, यदि किसी बैंक खाते में 10 वर्षों तक कोई गतिविधि नहीं होती है, तो वह राशि आरबीआई के 'डिपॉजिटर एजुकेशन एंड अवेयरनेस (DEA) फंड' में ट्रांसफर कर दी जाती है। हालांकि, अच्छी बात यह है कि फंड में राशि चले जाने के बाद भी खाताधारक या उसके वारिस का उस पर पूरा हक बना रहता है और वे प्रक्रिया पूरी कर अपना पैसा वापस ले सकते हैं।