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बॉम्बे हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय: नागरिक सम्मान उपाधि नहीं हैं

बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि भारत रत्न और पद्म पुरस्कार जैसी नागरिक सम्मान उपाधियाँ नहीं हैं। इस निर्णय का आधार सुप्रीम कोर्ट का 1995 का फैसला है, जिसमें स्पष्ट किया गया था कि इन सम्मानों को किसी के नाम के साथ नहीं जोड़ा जा सकता। जस्टिस सोमशेखर सुंदरेसन ने सभी पक्षों को इस नियम का पालन करने का निर्देश दिया। जानें इस निर्णय के पीछे की पूरी कहानी और पद्म पुरस्कार की श्रेणियाँ।
 

बॉम्बे हाईकोर्ट का निर्णय

मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि भारत रत्न, पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण जैसे नागरिक सम्मान उपाधियाँ नहीं हैं। इसलिए, इन्हें किसी व्यक्ति के नाम के साथ नहीं जोड़ा जा सकता है।

यह निर्णय बुधवार को एक याचिका की सुनवाई के दौरान आया, जिसमें पद्म श्री से सम्मानित डॉ. शरद मोरेश्वर हार्डिकर का नाम केस टाइटल में शामिल किया गया था। जस्टिस सोमशेखर सुंदरेसन की बेंच ने इस पर आपत्ति जताई और कहा कि ऐसा करना कानून के खिलाफ है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का संदर्भ

बॉम्बे हाईकोर्ट ने 1995 में सुप्रीम कोर्ट के संविधान पीठ के निर्णय का उल्लेख किया, जिसमें कहा गया था कि पद्म पुरस्कार और भारत रत्न उपाधियाँ नहीं हैं और इन्हें नाम के आगे या पीछे नहीं लगाना चाहिए।

जस्टिस सुंदरेसन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश संविधान के अनुच्छेद 141 के तहत सभी पर लागू होता है और इसका पालन अनिवार्य है। उन्होंने सभी पक्षों और अदालतों को निर्देश दिया कि वे इस नियम का पालन करें।

पद्म पुरस्कार की श्रेणियाँ

पद्म पुरस्कार, जो देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक हैं, तीन श्रेणियों में दिए जाते हैं: पद्म श्री, पद्म भूषण, और पद्म विभूषण। ये पुरस्कार कला, समाज सेवा, विज्ञान, इंजीनियरिंग, व्यवसाय, चिकित्सा, साहित्य, शिक्षा, खेल और सिविल सेवा जैसे विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्टता के लिए प्रदान किए जाते हैं।