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बोधगया में महिला अभ्यर्थी के साथ गैंगरेप का आरोप, पुलिस ने की कार्रवाई

बोधगया में होमगार्ड भर्ती के दौरान एक महिला अभ्यर्थी के साथ गैंगरेप का आरोप लगाया गया है। घटना के बाद पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपियों को हिरासत में लिया है। स्थानीय समुदाय में इस घटना को लेकर आक्रोश है, और महिला आयोग ने भी मामले का संज्ञान लिया है। जानें इस गंभीर मामले के सभी पहलुओं के बारे में।
 

बोधगया में गंभीर आरोप

बिहार के बोधगया से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां होमगार्ड भर्ती के दौरान एक महिला अभ्यर्थी बेहोश हो गई और उसके बाद एंबुलेंस चालक और टेक्नीशियन पर गैंगरेप का आरोप लगाया गया। यह घटना बीएमपी-3 परिसर में हुई, जहां भर्ती प्रक्रिया के तहत दौड़ आयोजित की गई थी। दौड़ के दौरान महिला अचानक बेहोश हो गई, जिसके बाद उसे मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया।


पीड़िता का बयान

जब महिला होश में आई, तो उसने बताया कि बेहोशी की अवस्था में एंबुलेंस चालक और मेडिकल टेक्नीशियन ने उसके साथ दुष्कर्म किया। इस गंभीर आरोप के बाद पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए दोनों आरोपियों को हिरासत में ले लिया और मामला दर्ज कर लिया। बोधगया थाना प्रभारी ने पुष्टि की है कि महिला की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज की गई है और मेडिकल जांच करवाई गई है, जिसकी रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है।


घटना का विवरण

पुलिस के अनुसार, प्रारंभिक जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि यह घटना तब हुई जब पीड़िता को एंबुलेंस के माध्यम से अस्पताल ले जाया जा रहा था। जांच के लिए सीसीटीवी फुटेज और एंबुलेंस से प्राप्त अन्य सबूतों की जांच की जा रही है। गया के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) ने कहा कि यह मामला अत्यंत गंभीर है और इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं बरती जाएगी।


स्थानीय समुदाय का आक्रोश

इस घटना ने स्थानीय समुदाय, अभ्यर्थियों और महिला संगठनों में भारी आक्रोश पैदा कर दिया है। कई महिला अभ्यर्थियों ने भर्ती प्रक्रिया में सुरक्षा की कमी पर सवाल उठाए हैं। बिहार महिला आयोग ने भी इस मामले का संज्ञान लिया है। आयोग की अध्यक्ष ने स्वतंत्र जांच की मांग की है और पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए हर संभव प्रयास करने का आश्वासन दिया है।


पुलिस की पूछताछ

वर्तमान में पुलिस दोनों आरोपियों से पूछताछ कर रही है और यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या इस वारदात में कोई और भी शामिल था। यह घटना बिहार की भर्ती प्रक्रियाओं की पारदर्शिता और महिला सुरक्षा पर एक बार फिर बहस को जन्म देती है.