×

भाजपा और विपक्षी दलों के बीच एजेंसियों के दुरुपयोग का खेल

भाजपा और विपक्षी दलों के बीच एजेंसियों के दुरुपयोग का मुद्दा एक बार फिर चर्चा में है। पिछले 11 वर्षों से विपक्षी दल आरोप लगा रहे हैं कि केंद्र सरकार अपनी एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है। हाल ही में पंजाब में बिक्रम सिंह मजीठिया की गिरफ्तारी ने इस मुद्दे को और गरमा दिया है। क्या विपक्षी दल भी इसी तरह की रणनीतियों का उपयोग कर रहे हैं? जानें इस लेख में कैसे विभिन्न दल अपने विरोधियों के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं और क्या यह लोकतंत्र के लिए खतरा है।
 

भाजपा पर आरोप और विपक्ष की स्थिति

भाजपा विरोधी दलों का पिछले 11 वर्षों से यह आरोप है कि केंद्र सरकार अपनी एजेंसियों जैसे आयकर विभाग, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और सीबीआई का दुरुपयोग कर रही है। विपक्षी दल इन एजेंसियों को भाजपा का सबसे प्रभावी सहयोगी मानते हैं और आरोप लगाते हैं कि इनका उपयोग करके भाजपा सरकार लोकतंत्र को कमजोर कर रही है। पिछले एक दशक में इन एजेंसियों द्वारा दर्ज किए गए मामलों में से 95 प्रतिशत भाजपा विरोधी नेताओं के खिलाफ हैं। कई राज्यों में इन एजेंसियों ने न केवल नेताओं को, बल्कि राजनीतिक दलों को भी आरोपी बनाया है। विपक्ष का एक और आरोप है कि पहले कार्रवाई की जाती है और फिर आरोपी नेता भाजपा में शामिल होकर अपनी छवि सुधार लेते हैं।


क्या विपक्षी दल भी निर्दोष हैं?

इन आरोपों में कुछ हद तक सच्चाई है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि भाजपा विरोधी दल कितनी कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। लेकिन क्या विपक्षी दल पूरी तरह से निर्दोष हैं? क्या वे अपनी एजेंसियों का उपयोग अपने विरोधियों के खिलाफ नहीं करते? कई भाजपा विरोधी दल विभिन्न राज्यों में सत्ता में हैं और उनके पास भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी), सीआईडी और अपनी पुलिस है, जिसका उपयोग वे अपने विरोधियों को डराने और गिरफ्तार करने के लिए करते हैं। यह हर विपक्षी दल की कहानी है, चाहे वह कांग्रेस हो, आम आदमी पार्टी हो, तृणमूल कांग्रेस हो या झारखंड मुक्ति मोर्चा।


पंजाब में मजीठिया का मामला

हाल ही में पंजाब में शिरोमणि अकाली दल के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया को 540 करोड़ रुपये के कथित घोटाले और ड्रग्स के आरोप में गिरफ्तार किया गया। मजीठिया पर पहले भी कई आरोप लगे थे, लेकिन 2017 में जब कांग्रेस की सरकार बनी, तब कोई कार्रवाई नहीं हुई। हाल ही में एसीबी ने अचानक मजीठिया के घर पर छापा मारा और उन्हें गिरफ्तार कर लिया।


आम आदमी पार्टी की कार्रवाई

पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार ने कांग्रेस के चार पूर्व मंत्रियों और विधायकों पर भी छापे मारे और उन्हें जेल भेजा। जब केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई होती है, तो केजरीवाल इसे दुरुपयोग मानते हैं, लेकिन जब उनकी सरकार विपक्ष के नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करती है, तो वह सामान्य प्रक्रिया होती है।


कर्नाटक और तेलंगाना में एजेंसियों का उपयोग

कर्नाटक में कांग्रेस सरकार के कई मंत्री केंद्रीय एजेंसियों की जांच में फंसे हैं, जबकि विपक्षी नेताओं के खिलाफ भी जांच चल रही है। तेलंगाना में भी कांग्रेस की सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के खिलाफ जांच शुरू की है।


अन्य राज्यों में स्थिति

आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू की सरकार वाईएसआर कांग्रेस के नेताओं को जेल भेजने की कोशिश कर रही है। तमिलनाडु में करुणानिधि और जयललिता के बीच भी इसी तरह की स्थिति रही है। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की सरकार ने भाजपा नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की है।


निष्कर्ष

किसी भी पार्टी का लोकतांत्रिक होना संदिग्ध है, क्योंकि सत्ता में आते ही वे अपने विरोधियों पर कार्रवाई करने लगते हैं। यह स्पष्ट है कि केंद्र में कांग्रेस की सरकार के दौरान 65 प्रतिशत मामले विपक्षी नेताओं के खिलाफ थे, जो अब बढ़कर 95 प्रतिशत हो गए हैं।