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भारत-अमेरिका व्यापार तनाव: विदेश मंत्री जयशंकर ने साझा किए विचार

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन में भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने 50% टैरिफ के कारणों, निरंतर वार्ता की आवश्यकता और मुक्त व्यापार समझौतों के प्रभाव पर चर्चा की। जयशंकर ने यह भी बताया कि भारत अपनी बुनियादी आर्थिक प्राथमिकताओं से समझौता नहीं करेगा। इस लेख में जानें कि कैसे ये मुद्दे भारत-अमेरिका संबंधों को प्रभावित कर सकते हैं।
 

भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव पर चर्चा

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने हाल ही में कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन (KEC 2025) में भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव के मुद्दे पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने बताया कि भारतीय निर्यात पर लागू 50% टैरिफ का मुख्य कारण दोनों देशों के बीच कोई 'उभरती हुई जमीन' या आम सहमति का अभाव है। जयशंकर ने यह भी स्पष्ट किया कि बातचीत के बावजूद, भारत अपनी महत्वपूर्ण लक्ष्यों पर समझौता नहीं करेगा।


टैरिफ पर वार्ता का महत्व

जयशंकर ने कहा कि भारत लगातार टैरिफ के मुद्दे पर बातचीत कर रहा है, जिसमें भारतीय वस्तुओं पर 50% और रूस से कच्चे तेल पर 25% शुल्क शामिल हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि किसी भी समाधान में भारत की बुनियादी चिंताओं का सम्मान होना आवश्यक है। विदेश मंत्री ने आशा व्यक्त की कि व्यापारिक तनाव भारत और अमेरिका के संबंधों के व्यापक स्वरूप को प्रभावित नहीं करेगा और दोनों देशों के बीच सामान्य व्यापार संबंध मजबूत बने रहेंगे।


अंतरराष्ट्रीय व्यापार प्रणाली की चुनौतियाँ

जयशंकर ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार प्रणाली की कमजोरियों पर भी प्रकाश डाला। उनके अनुसार, हाल के वर्षों में नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था कमजोर हुई है, जिससे देशों द्वारा व्यापार निर्णयों को प्राथमिकता देने के तरीके पर असर पड़ा है। उन्होंने बताया कि अब व्यापारिक निर्णयों में लागत के साथ-साथ स्वामित्व, सुरक्षा, विश्वसनीयता और लचीलापन भी महत्वपूर्ण हो गए हैं।


मुक्त व्यापार समझौतों पर विदेश मंत्री की राय

विदेश मंत्री ने भारत के मौजूदा मुक्त व्यापार समझौतों (FTAs) पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि कुछ समझौतों के कारण, आपूर्ति श्रृंखला की गतिशीलता के चलते, अनजाने में चीन जैसी प्रतिस्पर्धी अर्थव्यवस्थाओं के लिए रास्ते खुल जाते हैं। जयशंकर ने सुझाव दिया कि भारत को अपने हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए गैर-प्रतिस्पर्धी अर्थव्यवस्थाओं के साथ FTAs पर अधिक ध्यान देना चाहिए।


भारत की विनिर्माण क्षमता पर ध्यान

जयशंकर ने यह भी स्वीकार किया कि भारत ने विनिर्माण क्षेत्र में कई दशक गंवा दिए हैं, जिससे अब आर्थिक संतुलन हासिल करना चुनौतीपूर्ण हो गया है। उन्होंने कहा कि उन्नत और पारंपरिक दोनों प्रकार के विनिर्माण में क्षमता निर्माण की तत्काल आवश्यकता है ताकि देश वैश्विक अर्थव्यवस्था में मजबूती से खड़ा हो सके।


भारत की आर्थिक प्राथमिकताएँ

इस प्रकार, विदेश मंत्री ने स्पष्ट किया कि भारत किसी भी स्थिति में अपनी बुनियादी आर्थिक प्राथमिकताओं से समझौता नहीं करेगा, जबकि वैश्विक व्यापार और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को संतुलित रखने के लिए संवाद और रणनीतिक योजना जारी रहेगी।