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भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता: क्या होगा नए समझौते का भविष्य?

भारत और अमेरिका के बीच प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते को आगे बढ़ाने के लिए नई दिल्ली में 10 दिसंबर से चर्चाएं शुरू होने जा रही हैं। अमेरिका का प्रतिनिधिमंडल उप-व्यापार प्रतिनिधि रिक स्वित्ज़र के नेतृत्व में भारत आएगा। इस वार्ता का उद्देश्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर सहमति बनाना है, जिससे व्यापार समझौते की नींव रखी जा सके। वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल ने कहा है कि इस वर्ष के अंत तक एक प्रारंभिक रूपरेखा व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है। जानें इस वार्ता के पीछे की रणनीतियों और भविष्य की योजनाओं के बारे में।
 

नई दिल्ली में शुरू होगी व्यापार वार्ता


भारत और अमेरिका के बीच प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते को आगे बढ़ाने के लिए नई दिल्ली में 10 दिसंबर से नई चर्चाएं शुरू होने जा रही हैं। हालांकि, इन बैठकों को औपचारिक वार्ता के रूप में नहीं देखा जाएगा, फिर भी अधिकारियों का मानना है कि ये चर्चाएं महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि इनका फोकस उन मुद्दों पर होगा जिन पर सहमति बनने से समझौते की नींव रखी जा सकेगी।


अमेरिका का प्रतिनिधिमंडल भारत आएगा

इस महत्वपूर्ण वार्ता के लिए अमेरिका का प्रतिनिधिमंडल उप-व्यापार प्रतिनिधि रिक स्वित्ज़र के नेतृत्व में भारत का दौरा करेगा। यह दौरा ऐसे समय हो रहा है जब अमेरिका ने भारतीय निर्यात पर 25% बेसिक टैरिफ के साथ अतिरिक्त 25% दंडात्मक शुल्क लगाया है। यह कदम भारत द्वारा रूस से कच्चे तेल की खरीद को लेकर तनावपूर्ण स्थितियों के बीच उठाया गया है।


कूटनीतिक संवाद जारी

पिछले कुछ महीनों में दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संवाद लगातार जारी रहा है। अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल ने पिछला दौरा 16 सितंबर को किया था, जबकि भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने मई और सितंबर में वाशिंगटन की यात्रा की थी। व्यापार समझौते पर बातचीत का नेतृत्व अमेरिका की ओर से दक्षिण एवं मध्य एशिया के लिए यूएसटीआर के सहायक प्रतिनिधि ब्रेंडन लिंच कर रहे हैं, जबकि भारतीय पक्ष की ओर से वाणिज्य विभाग के संयुक्त सचिव दर्पण जैन इस प्रक्रिया का संचालन कर रहे हैं।


व्यापार समझौते की उम्मीदें

ये चर्चाएं इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल ने हाल ही में कहा था कि भारत और अमेरिका इस वर्ष के अंत तक एक प्रारंभिक व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर कर सकते हैं। इस समझौते के लागू होने से भारतीय निर्यातकों को कई अमेरिकी टैरिफ बाधाओं से राहत मिलने की संभावना है।


राजेश अग्रवाल का बयान

अग्रवाल ने स्पष्ट किया कि पूर्ण द्विपक्षीय व्यापार समझौता तैयार करने में समय लगेगा, लेकिन वर्तमान में दोनों देश दो समानांतर पटरियों पर आगे बढ़ रहे हैं। पहली पंक्ति निकट भविष्य में महत्वपूर्ण टैरिफ समस्याओं को हल करने पर केंद्रित है, जबकि दूसरी दीर्घकालिक व्यापार समझौते के निर्माण की दिशा में है।


भविष्य की योजनाएं

अब तक इस विषय पर छह दौर की बातचीत हो चुकी है। दोनों सरकारों का लक्ष्य 2025 की शरद ऋतु तक समझौते के पहले चरण को तैयार करना है। व्यापक दृष्टि से, दोनों देश 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को वर्तमान 191 अरब डॉलर से बढ़ाकर 500 अरब डॉलर तक पहुँचाने का लक्ष्य रख रहे हैं।