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भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता में तनाव: किसानों के हित सर्वोपरि

भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव बढ़ता जा रहा है, जिसमें विदेश मंत्री एस जयशंकर ने किसानों के हितों को सर्वोपरि बताया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत अपनी शर्तों पर अडिग है और किसी भी प्रकार की मध्यस्थता को स्वीकार नहीं करेगा। जयशंकर ने डोनाल्ड ट्रंप की विदेश नीति को अभूतपूर्व बताते हुए कहा कि यह बदलाव केवल भारत तक सीमित नहीं है। जानें इस महत्वपूर्ण वार्ता के बारे में और क्या हैं भारत की प्राथमिकताएँ।
 

भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार को लेकर इन दिनों तनाव बढ़ता जा रहा है। कई दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन भारत अपनी शर्तों पर अडिग है। इस कारण अब तक की बैठकों में कोई ठोस नतीजा नहीं निकल पाया है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस मुद्दे पर अपनी बात रखते हुए कहा कि अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता में भारत के किसानों और छोटे उत्पादकों के हित सबसे महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत अपनी रेड लाइन से कभी समझौता नहीं करेगा, चाहे वह किसानों के हितों की बात हो या रणनीतिक स्वायत्ता की।


जयशंकर की टिप्पणियाँ

विदेश मंत्री ने डोनाल्ड ट्रंप की विदेश नीति को अभूतपूर्व बताते हुए कहा कि अमेरिका के किसी राष्ट्रपति ने पहले कभी भी अपनी विदेश नीति को इस तरह से सार्वजनिक रूप से संचालित नहीं किया। दिल्ली में एक मीडिया कार्यक्रम में बोलते हुए, जयशंकर ने कहा कि यह बदलाव केवल भारत तक सीमित नहीं है। ट्रंप का दुनिया के साथ व्यवहार करने का तरीका पारंपरिक दृष्टिकोण से बहुत भिन्न है। उन्होंने यह भी कहा कि मई में भारत-पाकिस्तान संघर्ष को समाप्त करने में अमेरिका की कोई मध्यस्थता नहीं थी, जो ट्रंप के दावों के विपरीत है।


मध्यस्थता पर भारत का रुख

जयशंकर ने कहा कि भारत-पाकिस्तान संघर्ष के मुद्दे पर, 1970 के दशक से, यानी पिछले 50 वर्षों से, इस देश में राष्ट्रीय सहमति है कि हम पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों में किसी भी प्रकार की मध्यस्थता स्वीकार नहीं करते हैं। अमेरिका द्वारा भारतीय वस्तुओं पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने के मुद्दे पर, उन्होंने कहा कि किसी भी व्यापार वार्ता में घरेलू किसानों के हित सर्वोपरि होते हैं। जब व्यापार की बात आती है, तो किसानों के हितों और रणनीतिक स्वायत्ता की रक्षा करना सरकार की प्राथमिकता है।