भारत-अमेरिका व्यापार विवाद: जेसन मिलर की ट्रंप से मुलाकात ने बढ़ाई चर्चाएं
भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ विवाद
भारत-अमेरिका व्यापार विवाद: भारत और अमेरिका के बीच चल रहे टैरिफ विवाद ने कूटनीतिक हलचल को तेज कर दिया है। इस संदर्भ में, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के करीबी सहयोगी और प्रमुख राजनीतिक लॉबिस्ट जेसन मिलर ने ट्रंप से मुलाकात की है। इस मुलाकात ने दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों और राजनीतिक समीकरणों पर नई चर्चाओं को जन्म दिया है।
जेसन मिलर की भूमिका
जेसन मिलर को भारत सरकार ने हाल ही में ट्रंप प्रशासन के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने के लिए नियुक्त किया था। उन्होंने एक्स पर ट्रंप के साथ अपनी तस्वीर साझा करते हुए लिखा, "वॉशिंगटन में शानदार सप्ताह बिताया। सबसे खास रहा हमारे राष्ट्रपति को ऐक्शन में देखने का मौका।"
भारत के लिए विदेशी एजेंट की भूमिका
जेसन मिलर आधिकारिक तौर पर भारत के हितों की वकालत करने वाले रजिस्टर्ड विदेशी एजेंट हैं। भारत सरकार ने अप्रैल 2024 में उनकी लॉबिंग फर्म SHW Partners LLC को नियुक्त किया था। इस अनुबंध के तहत भारत हर महीने लगभग 1.5 लाख डॉलर (लगभग 1.25 करोड़ रुपये) का भुगतान कर रहा है। एक साल का यह करार 1.8 मिलियन डॉलर (करीब 15 करोड़ रुपये) का है। फर्म को अमेरिका की सरकार, कांग्रेस, थिंक टैंक और विभिन्न संस्थानों के साथ भारत से जुड़े मुद्दों पर रणनीतिक सलाह देने और कूटनीतिक संपर्क बढ़ाने का कार्य सौंपा गया है।
ट्रंप के करीबी सहयोगी
जेसन मिलर, ट्रंप के लंबे समय से सहयोगी रहे हैं। 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में वे उनके मुख्य मीडिया प्रवक्ता के रूप में सामने आए। उन्हें वाइट हाउस का कम्युनिकेशंस डायरेक्टर नियुक्त किया जाना था, लेकिन निजी विवादों के कारण उन्होंने पद संभालने से पहले ही खुद को पीछे हटा लिया। उनके खिलाफ ट्रंप कैंपेन की एक अधिकारी के साथ संबंध और यौन उत्पीड़न के आरोप भी लगे, फिर भी वे ट्रंप के करीबी बने रहे। मिलर ने ट्रंप के 2020 और 2024 चुनाव अभियानों में भी महत्वपूर्ण सलाहकार की भूमिका निभाई।
मुलाकात का महत्व
हालांकि ट्रंप और मिलर की इस मुलाकात का आधिकारिक एजेंडा सार्वजनिक नहीं किया गया है, लेकिन यह बैठक उस समय हुई है जब भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ और व्यापारिक रणनीतियों पर तनाव बढ़ रहा है। दोनों देशों के बीच आर्थिक नीतियों और आयात-निर्यात शुल्क को लेकर लगातार खींचतान बनी हुई है। माना जा रहा है कि मिलर की यह सक्रियता भारत सरकार के लिए अमेरिकी सत्ता केंद्रों में कूटनीतिक संतुलन साधने की कोशिश का हिस्सा है।