भारत-अमेरिका व्यापार समझौते की बातचीत अंतिम चरण में, कृषि पर सख्त रुख
भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता
भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) पर बातचीत अब अंतिम चरण में पहुंच गई है। 9 जुलाई की समयसीमा के नजदीक आते ही, सरकार ने संकेत दिए हैं कि वह अमेरिका के साथ एक सकारात्मक समझौता करने के लिए तैयार है, लेकिन कृषि और डेयरी जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में सख्त रुख अपनाया गया है, ताकि किसानों और पशुपालकों के हितों की रक्षा की जा सके।
सरकार का सख्त रुख
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, वित्त मंत्री ने कहा कि अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता सकारात्मक दिशा में बढ़ रही है, लेकिन कृषि और डेयरी क्षेत्र पर सरकार का सख्त रवैया बरकरार है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इन क्षेत्रों में कोई समझौता नहीं किया जाएगा, क्योंकि ये सीधे तौर पर भारत के किसानों और पशुपालकों से जुड़े हैं। उन्होंने कहा, "हम एक बड़ा और लाभकारी समझौता चाहते हैं, लेकिन अपने हितों से समझौता नहीं करेंगे।"
निजी निवेश और आर्थिक सुधारों पर ध्यान
सीतारमण ने बताया कि पिछले छह महीनों में निजी निवेश में सुधार देखा गया है और कंपनियां अब अपनी क्षमता बढ़ाने की दिशा में कदम उठा रही हैं। उन्होंने कहा कि सरकार "दूसरी पीढ़ी के सुधारों" पर काम कर रही है, जिसमें बैंकों की स्थिति में सुधार और न्यूक्लियर एनर्जी में निजी निवेश को बढ़ावा देना शामिल है। इसके अलावा, जीएसटी की दरों को सरल बनाने और औसत दर को कम करने की दिशा में भी प्रयास जारी हैं।
ऊर्जा, निर्यात और श्रम कानूनों पर रणनीति
सीतारमण ने कहा कि ऊर्जा क्षेत्र में भारत को अपनी बुनियादी जरूरतों को बढ़ाना होगा, जिसके लिए छोटे न्यूक्लियर रिएक्टर की योजना बनाई जा रही है। उन्होंने यह भी बताया कि निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सरकार अतिरिक्त समर्थन प्रदान करेगी, क्योंकि कई स्थानीय कर अभी भी निर्यात में पूरी तरह से न्यूट्रल नहीं हैं। इसके साथ ही, उन्होंने कहा कि तीन श्रम संहिताओं पर सरकार पीछे नहीं हटेगी और राज्य इन पर तेजी से काम कर रहे हैं।
बैंकिंग और जीएसटी ढांचे में सुधार
वित्त मंत्री ने स्वीकार किया कि बैंकों के डिपॉजिट रेट्स में पहले जैसी वृद्धि नहीं हो रही है, क्योंकि रिटेल निवेशक तेजी से स्टॉक मार्केट की ओर बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि जीएसटी काउंसिल को एक ऐसा ढांचा बनाना चाहिए जो सरल और पालन में आसान हो, जिससे राजस्व में वृद्धि हो और उपभोक्ता खपत को भी प्रोत्साहन मिले।