×

भारत-अमेरिका संबंधों में नई दिशा: जावेद अशरफ का दृष्टिकोण

भारत और अमेरिका के संबंधों में सुधार की संभावनाओं पर जावेद अशरफ ने महत्वपूर्ण विचार साझा किए हैं। उन्होंने भारत की स्वतंत्र नीति और विभिन्न देशों के साथ संतुलित संबंधों की आवश्यकता पर जोर दिया। अशरफ का मानना है कि भारत को किसी एक गुट में बंधने की आवश्यकता नहीं है और उसे अपनी ताकत को पहचानना चाहिए। जानें उनके विचार और भारत की वैश्विक भूमिका के बारे में।
 

भारत और अमेरिका के रिश्तों में सुधार की संभावना

भारत-अमेरिका संबंध: डोनाल्ड ट्रंप के हालिया बयान के बाद, भारत और अमेरिका के बीच संबंधों में सुधार की उम्मीद जगी है। इस संदर्भ में, फ्रांस और मोनाको में भारत के पूर्व राजदूत जावेद अशरफ ने एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। उनके अनुसार, भारत को यह मानसिकता छोड़नी होगी कि उसे किसी एक गुट का हिस्सा बनना है। जावेद अशरफ ने कहा, "भारत एक छोटा या कमजोर देश नहीं है जो बाहरी समर्थन पर निर्भर हो। हमें इस सोच से बाहर निकलना होगा कि हमें किसी एक खेमे में रहना चाहिए। हम एक ऐसा देश हैं जो अपने मूल्यों और सिद्धांतों के आधार पर स्वतंत्रता से कार्य कर सकता है।"


उन्होंने यह भी कहा कि भारत की ताकत उसकी स्वतंत्र विदेश नीति और विभिन्न देशों के साथ संतुलित संबंध बनाने की क्षमता में निहित है। अशरफ ने बताया कि भारत में इतनी सामर्थ्य है कि वह न केवल प्रमुख शक्तियों के साथ, बल्कि उनके बीच मतभेद होने पर भी, हर संबंध को उसके गुणों के आधार पर संभाल सकता है। उन्होंने जोर देकर कहा, "हमारे पास यह क्षमता है कि हम उन देशों के साथ भी अपने संबंधों को संचालित करें, जिनके बीच आपसी मतभेद हैं। हर संबंध को उसकी योग्यता के आधार पर देखा जाएगा।"




रूस और चीन को नहीं भुलाना


अशरफ ने आगे कहा कि अमेरिका के साथ सामान्य और मजबूत संबंधों का मतलब यह नहीं है कि भारत रूस को भुला देगा या चीन के साथ अपने संबंधों को सामान्य करने की कोशिश नहीं करेगा। उन्होंने स्पष्ट किया, "अगर हम अमेरिका के साथ सामान्य संबंधों की ओर लौटते हैं, तो इसका मतलब यह नहीं है कि हमने रूस को भुला दिया है या चीन के साथ संबंध सामान्य करने की कोशिश नहीं करेंगे।"


रूस और चीन के साथ संबंधों को मजबूत करना आवश्यक


उन्होंने कहा कि भारत की विदेश नीति का उद्देश्य वैश्विक शांति और सहयोग को बढ़ावा देना है। रूस और चीन जैसे देशों के साथ संबंधों को मजबूत करना भारत के राष्ट्रीय हितों के लिए महत्वपूर्ण है। यह नीति न केवल भारत की स्वतंत्रता को दर्शाती है, बल्कि वैश्विक मंच पर उसकी बढ़ती भूमिका को भी रेखांकित करती है। भारत का यह दृष्टिकोण उसे एक ऐसी शक्ति बनाता है जो न केवल अपने हितों की रक्षा कर सकता है, बल्कि वैश्विक संतुलन में भी योगदान दे सकता है।