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भारत और अमेरिका के बीच ऊर्जा व्यापार में वृद्धि: आर्थिक संबंधों में नया मोड़

भारत और अमेरिका के बीच हाल ही में ऊर्जा व्यापार में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिसने दोनों देशों के आर्थिक संबंधों को नया मोड़ दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा भारत पर टैरिफ लगाने की बात के बीच, भारत ने अमेरिका से तेल और प्राकृतिक गैस के आयात में भारी बढ़ोतरी की है। यह प्रगति फरवरी में हुए द्विपक्षीय समझौते के बाद आई है, जिसमें भारत ने 2025 तक अमेरिकी ऊर्जा आयात को 25 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। जानें इस व्यापार के पीछे की रणनीतियाँ और आंकड़े।
 

भारत और अमेरिका के ऊर्जा व्यापार में वृद्धि

हाल ही में अमेरिका और भारत के बीच ऊर्जा व्यापार में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिसने दोनों देशों के आर्थिक संबंधों को एक नई दिशा दी है। यह तब हुआ जब अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की बात की। इस दौरान, भारत ने अपने ऊर्जा आयात में भारी बढ़ोतरी की है, जो व्यापार संतुलन स्थापित करने की रणनीति का हिस्सा है।
विश्लेषकों के अनुसार, ट्रंप प्रशासन के दबाव और वैश्विक ऊर्जा की मांग के कारण, भारत ने पिछले वर्ष की तुलना में इस साल अमेरिका से तेल के आयात में 51 प्रतिशत की वृद्धि की है। इसके साथ ही, प्राकृतिक गैस की खरीद भी लगभग दोगुनी हो गई है, जो दर्शाता है कि भारत अमेरिकी ऊर्जा संसाधनों पर अपनी निर्भरता बढ़ा रहा है।
यह प्रगति उस द्विपक्षीय समझौते के बाद हुई है जो फरवरी में नई दिल्ली और वाशिंगटन के बीच हुआ था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे के दौरान, दोनों नेताओं ने ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई थी। भारत ने 2025 तक अमेरिकी ऊर्जा आयात को 25 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है, साथ ही द्विपक्षीय व्यापार को 2030 तक 500 अरब डॉलर तक बढ़ाने की योजना बनाई है।
अमेरिका से भारत की बाजार में उपस्थिति भी लगातार मजबूत हो रही है। वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में भारत की अमेरिका से कुल खरीदारी 3.7 अरब डॉलर तक पहुंच गई, जो पिछले साल इसी अवधि में केवल 1.73 अरब डॉलर थी। विशेष रूप से कच्चे तेल के क्षेत्र में अमेरिका की हिस्सेदारी भारत के आयात में बढ़कर 8 प्रतिशत हो गई है, जबकि पहले यह केवल 3 प्रतिशत थी।