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भारत और अमेरिका के व्यापार समझौते पर वित्त मंत्री का सकारात्मक दृष्टिकोण

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के लिए एक बड़ा और लाभकारी समझौता प्राथमिकता है, जो विकास और सप्लाई चेन की स्थिरता को बढ़ावा देगा। भारत और अमेरिका के व्यापार को 2030 तक 500 अरब डॉलर तक बढ़ाने की योजना है। जानें इस समझौते के मुख्य बिंदु और आगे की दिशा क्या होगी।
 

भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों की नई दिशा

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारत के अमेरिकी व्यापार समझौते के प्रति सकारात्मकता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के लिए एक बड़ा और लाभकारी समझौता करना प्राथमिकता है, जो विकास और सप्लाई चेन की स्थिरता को बढ़ावा देगा।


मुख्य बिंदु: भारत और अमेरिका के बीच व्यापार को 2030 तक लगभग 500 अरब डॉलर तक बढ़ाने की योजना है, जिसके लिए द्विपक्षीय समझौते पर बातचीत चल रही है। वैश्विक टैरिफ युद्ध के संदर्भ में, भारत डंपिंग की चुनौतियों से सतर्क है। सीतारमण ने बताया कि यदि अमेरिका अन्य देशों पर उच्च टैरिफ लगाएगा, तो भारत को इस स्थिति का सामना करने के लिए स्मार्ट तरीके अपनाने होंगे।


किसान और डेयरी उद्योग को विशेष रूप से 'रेड लाइन' के रूप में चिन्हित किया गया है, जिसका मतलब है कि इन क्षेत्रों में कोई समझौता तभी होगा जब उनकी स्थिति प्रभावित नहीं होगी। इस समझौते का पहला चरण 2025 के पतझड़ तक पूरा होने की उम्मीद है।


आगे की दिशा: 1. सप्लाई चेन का संरक्षण: समझौते से भारत और अमेरिका के बीच सप्लाई चेन को मजबूत किया जाएगा, जिससे भारत की आर्थिक वृद्धि को भी बढ़ावा मिलेगा। 2. रिप्रोसिकल टैरिफ रणनीति: अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ से बचने के लिए भारत रणनीतिक कदम उठा रहा है, साथ ही घरेलू उद्योगों की सुरक्षा भी सुनिश्चित करेगा। 3. व्यापार बातचीत की सक्रिय निगरानी: वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल समझौते को आगे बढ़ाने में सक्रिय हैं, और सरकार निर्यातकों के हितों को समझौतों में शामिल करेगी। 4. आत्मनिर्भर भारत और वैश्विक बाजार: सीतारमण ने कहा कि भारत की आत्मनिर्भरता और वैश्विक आर्थिक स्थिति को देखते हुए बड़े अर्थव्यवस्थाओं के साथ समझौते जल्द ही फायदेमंद साबित होंगे।