भारत और कंबोडिया के सांस्कृतिक संबंधों की नई झलक
भारत और कंबोडिया के बीच सांस्कृतिक संबंध
भारत और कंबोडिया के बीच सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंधों की गहराई एक बार फिर सामने आई है। हाल ही में कंबोडिया में आयोजित एक कार्यक्रम में, मोस मार्गेरिटा ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा कंबोडिया में रामायण से संबंधित भित्तिचित्रों के संरक्षण की पहल की सराहना की। यह पहल दोनों देशों के बीच सदियों पुराने सांस्कृतिक आदान-प्रदान और आध्यात्मिक संबंधों का प्रतीक है। कंबोडिया, विशेषकर अपने अंगकोर वाट जैसे विश्व प्रसिद्ध मंदिरों के लिए जाना जाता है, जिनकी दीवारों पर रामायण के दृश्य खूबसूरती से उकेरे गए हैं। ये भित्तिचित्र न केवल कला के अद्भुत नमूने हैं, बल्कि दक्षिण-पूर्व एशिया में भारतीय संस्कृति और हिंदू धर्म के प्रभाव का प्रमाण भी हैं।मोस मार्गेरिटा ने अपने संबोधन में कहा कि ASI की यह पहल केवल कलाकृतियों का संरक्षण नहीं है, बल्कि यह दोनों देशों की साझा विरासत और सांस्कृतिक पहचान को सुरक्षित रखने का प्रयास है। उन्होंने यह भी बताया कि यह दर्शाता है कि कैसे भारत अपनी सांस्कृतिक कूटनीति के माध्यम से विश्वभर में अपनी प्राचीन सभ्यताओं के निशान को संरक्षित करने में मदद कर रहा है। ASI ने अतीत में भी विभिन्न देशों में भारतीय विरासत स्थलों के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, और कंबोडिया में रामायण के भित्तिचित्रों की बहाली उसी श्रृंखला का हिस्सा है। यह कार्य अत्यंत सावधानी और विशेषज्ञता के साथ किया जाता है ताकि मूल कलाकृति को कोई नुकसान न पहुंचे और उसकी भव्यता बनी रहे।
यह पहल न केवल कंबोडिया के पर्यटन और सांस्कृतिक पहचान को बढ़ावा देती है, बल्कि भारत और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के बीच सांस्कृतिक और मैत्रीपूर्ण संबंधों को भी मजबूत करती है। यह दिखाता है कि कैसे संस्कृति और विरासत राष्ट्रों को एक साथ ला सकती हैं और इतिहास के साथ भविष्य के पुल का निर्माण कर सकती हैं।