भारत और चीन के बीच टूरिस्ट वीजा फिर से शुरू, रिश्तों में सुधार के संकेत
भारत-चीन संबंधों में सुधार के संकेत
भारत और चीन के बीच पिछले चार वर्षों से ठहरे हुए संबंधों में अब सुधार के संकेत दिखाई दे रहे हैं। इस संदर्भ में, भारत ने चीनी नागरिकों के लिए अपने वैश्विक मिशनों के माध्यम से टूरिस्ट वीजा जारी करने की प्रक्रिया फिर से शुरू कर दी है। यह निर्णय ऐसे समय में लिया गया है जब दोनों देश सीमा पर तनाव को कम करने और आपसी विश्वास को पुनर्स्थापित करने के लिए कई कदम उठा रहे हैं। हालांकि, इस पहल की औपचारिक घोषणा अभी नहीं की गई है, लेकिन यह द्विपक्षीय संबंधों में सकारात्मक बदलाव की ओर इशारा करती है।
टूरिस्ट वीजा की प्रक्रिया का पुनः आरंभ
सूत्रों के अनुसार, भारत ने इस सप्ताह से दुनिया भर में स्थित भारतीय दूतावासों और वाणिज्य दूतावासों में चीनी पर्यटकों के लिए वीजा प्रक्रिया को फिर से शुरू कर दिया है। यह सेवा अप्रैल-मई 2020 में एलएसी पर सैन्य तनाव के बाद निलंबित कर दी गई थी। हालांकि, जुलाई 2024 में चीन में भारतीय मिशनों में सीमित रूप से वीजा बहाल किए गए थे।
द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर करने के प्रयास
हाल के महीनों में, दोनों देशों के बीच संबंधों को स्थिर करने के लिए कई 'पीपल-सेंट्रिक' कदम उठाए गए हैं। 2020 से बंद सीधी उड़ानें इस अक्टूबर से फिर से शुरू हो चुकी हैं। इसके अतिरिक्त, कैलाश-मानसरोवर यात्रा को अगली गर्मियों में फिर से शुरू करने पर सहमति बनी है। दोनों देशों के दूतावासों में 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर कई कार्यक्रम भी आयोजित किए गए।
रिश्तों में खटास का इतिहास
2020 में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प ने दोनों देशों के संबंधों को छह दशकों में सबसे निचले स्तर पर पहुंचा दिया था। सैन्य टकराव के बाद, टूरिस्ट वीजा सहित कई संपर्क चैनल स्थगित कर दिए गए थे। हालाँकि, हाल की वार्ताओं और सहमतियों ने तनाव को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
उच्च स्तरीय वार्ताओं का पुनः आरंभ
अक्टूबर 2024 में एलएसी पर अग्रिम मोर्चों से डिसइंगेजमेंट पर सहमति बनी, जिसके बाद कजान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात ने वार्ता की गति को बढ़ाया। दोनों नेताओं ने रिश्तों को सामान्य करने के लिए पुराने तंत्र को फिर से सक्रिय करने पर सहमति जताई।
सहयोग के अन्य क्षेत्र
इसके बाद विदेश, रक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार स्तर पर कई दौर की बैठकें हुईं। एनएसए अजीत डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच बातचीत से सीमा व्यापार और आर्थिक मुद्दों पर प्रगति हुई। चीन ने भारत की कई व्यापारिक चिंताओं को दूर करने के लिए दुर्लभ खनिजों पर निर्यात प्रतिबंध जैसे कदम भी उठाए हैं।