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भारत और चीन के बीच सीधी उड़ानों की बहाली की तैयारी

भारत और चीन के बीच सीधी उड़ानों का पुनरारंभ होने जा रहा है, जो कोविड-19 महामारी और गलवान घाटी संघर्ष के बाद से निलंबित थीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चीन दौरे के साथ इस फैसले की औपचारिक घोषणा की संभावना है। यह कदम न केवल द्विपक्षीय संबंधों में सुधार का संकेत है, बल्कि अमेरिका के साथ व्यापारिक तनाव के संदर्भ में भी महत्वपूर्ण है। जानें इस संबंध में और क्या कुछ हो रहा है।
 

भारत-चीन के बीच उड़ानों का पुनरारंभ

कोविड-19 महामारी और पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी में संघर्ष के बाद से भारत और चीन के बीच सीधी उड़ानें निलंबित थीं। अब, लगभग चार साल बाद, दोनों देश इन उड़ानों को फिर से शुरू करने की योजना बना रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चीन दौरे के साथ इस निर्णय की औपचारिक घोषणा की संभावना है। इसे द्विपक्षीय संबंधों में सुधार के संकेत के रूप में देखा जा रहा है, साथ ही अमेरिका के साथ व्यापारिक तनाव के संदर्भ में भी यह महत्वपूर्ण माना जा रहा है।


कोविड-19 और गलवान संघर्ष का प्रभाव

कोविड-19 महामारी के दौरान भारत-चीन के बीच सीधी उड़ानों पर रोक लगा दी गई थी। इसके बाद, जून 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प ने दोनों देशों के रिश्तों को और भी खराब कर दिया। इस संघर्ष में 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे, जबकि चीन के चार सैनिकों की भी मौत हुई थी। इसके बाद भारत ने कई कठोर कदम उठाए, जिनमें चीनी मोबाइल ऐप पर प्रतिबंध भी शामिल था। चीन ने इस प्रतिबंध को 'भेदभावपूर्ण' करार देते हुए विश्व व्यापार संगठन में चुनौती देने की बात कही थी।


सामान्य रिश्तों की ओर कदम

पिछले महीने भारत ने चीनी नागरिकों के लिए टूरिस्ट वीजा बहाल किया, जो 2020 के बाद पहली बार हुआ। इसके अलावा, जनवरी में दोनों देशों ने सीधी उड़ानों को फिर से शुरू करने पर सहमति जताई थी। विदेश सचिव विक्रम मिस्री और चीनी विदेश मंत्री वांग यी की बैठक में यह तय हुआ था कि कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू किया जाएगा। पहले एयर इंडिया और इंडिगो जैसी भारतीय एयरलाइंस बीजिंग, शंघाई, ग्वांगझू और कुनमिंग जैसे शहरों के लिए नियमित उड़ानें चलाती थीं।


प्रधानमंत्री मोदी का महत्वपूर्ण चीन दौरा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सात साल बाद चीन की यात्रा पर जा रहे हैं, जहां वह 31 अगस्त और 1 सितंबर को तियानजिन में होने वाले SCO शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। इस दौरे के दौरान उनकी चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से द्विपक्षीय बैठक की संभावना भी है। चीन ने इस दौरे का स्वागत करते हुए उम्मीद जताई है कि यह सम्मेलन 'एकता, मित्रता और सकारात्मक परिणाम' लेकर आएगा और संगठन के विकास को नई दिशा देगा।


भारत-चीन की नजदीकी और अमेरिका-चीन व्यापारिक तनाव

दिल्ली और बीजिंग के बीच बढ़ती नजदीकी ऐसे समय में हो रही है जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर लगने वाले टैरिफ को 25% से बढ़ाकर 50% कर दिया है, जिसका कारण रूस से तेल खरीद बताया गया है। चीन ने भारत का खुलकर समर्थन किया और ट्रंप को 'बदमाश' करार दिया। चीनी राजदूत ने चेतावनी दी कि 'बदमाश को एक इंच दो, तो वह एक मील ले लेगा' और भारत को अमेरिका के दबाव में न झुकने की सलाह दी। इस बीच, अमेरिका और चीन भी आपसी टैरिफ युद्ध में उलझे हुए हैं, हालांकि ट्रंप ने फिलहाल चीनी सामान पर प्रस्तावित शुल्क बढ़ोतरी को 90 दिनों के लिए टाल दिया है।


उड़ानों से बढ़ेगा संपर्क

सीधी उड़ानों के पुनरारंभ से न केवल व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि दोनों देशों के बीच लोगों का संपर्क भी मजबूत होगा। यह निर्णय रिश्तों को पटरी पर लाने के साथ-साथ सांस्कृतिक और आर्थिक सहयोग को भी नया आयाम दे सकता है।