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भारत और रूस के बीच पनडुब्बी समझौते पर स्पष्टता

पुतिन के भारत दौरे के दौरान, एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि भारत ने रूस के साथ 2 बिलियन डॉलर का नया पनडुब्बी समझौता किया है। हालांकि, सरकार ने इसे गलत बताते हुए कहा कि यह 2019 का पुराना प्रोजेक्ट है, जिसकी डिलीवरी अब 2028 तक बढ़ाई गई है। रूस के वित्त मंत्री ने दोनों देशों के बीच व्यापार संबंधों में तेजी का आश्वासन दिया है, और 2030 तक व्यापार का लक्ष्य 100 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की संभावना जताई है।
 

भारत ने रूस के साथ पनडुब्बी समझौते की रिपोर्ट को किया खारिज

पुतिन के भारत दौरे के दौरान, एक समाचार रिपोर्ट में यह दावा किया गया कि भारत ने रूस के साथ 2 बिलियन डॉलर का नया पनडुब्बी समझौता किया है। हालांकि, सरकार ने इस रिपोर्ट को गलत बताते हुए कहा कि ऐसा कोई नया समझौता नहीं हुआ है। यह वही प्रोजेक्ट है जो 2019 में तय हुआ था, और इसकी डिलीवरी अब 2028 तक बढ़ा दी गई है।


रूस के वित्त मंत्री का बयान

इस बीच, रूस के वित्त मंत्री अंतोन सिलुआनोव ने कहा कि दोनों देशों के आर्थिक संबंध तेजी से मजबूत हो रहे हैं और 2030 तक व्यापार का लक्ष्य 100 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है।


सरकार ने रिपोर्ट को बताया गलत

PIB ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट तथ्यों पर आधारित नहीं है। जिस पनडुब्बी प्रोजेक्ट का जिक्र किया गया है, वह 2019 के पुराने एग्रीमेंट का हिस्सा है। वर्तमान में केवल इसकी डिलीवरी टाइमलाइन 2028 तक बढ़ाई गई है, पर नई कोई डील साइन नहीं हुई है।


2030 तक व्यापार का लक्ष्य

सिलुआनोव ने विश्वास व्यक्त किया कि भारत और रूस निकट भविष्य में व्यापार को 100 बिलियन डॉलर तक पहुंचा सकते हैं। उनका कहना है कि दोनों देशों के बीच सहयोग कई क्षेत्रों में तेजी से बढ़ रहा है, जिससे यह लक्ष्य हासिल करना संभव है।


बैंकिंग व्यवस्था का योगदान

सिलुआनोव ने बताया कि वीटीबी बैंक के नए मुख्य कार्यालय की शुरुआत दोनों देशों के बीच व्यापार को सपोर्ट देने में महत्वपूर्ण कदम है। उनके अनुसार, बैंकिंग सिस्टम जितना मजबूत होगा, लेन-देन उतना ही आसान और सुरक्षित होगा।


भारत-रूस व्यापार में तेजी

2018 में पुतिन ने 30 बिलियन डॉलर व्यापार लक्ष्य की बात की थी, जबकि आज यह आंकड़ा 68 बिलियन डॉलर तक पहुंच चुका है। इसका मतलब है कि व्यापार अनुमान से लगभग दोगुनी रफ्तार से बढ़ा है, जो दोनों देशों के लिए एक सकारात्मक संकेत है।


सहयोग के तेजी से बढ़ने के कारण

सिलुआनोव के अनुसार, रूसी प्रोजेक्ट्स में भारत के उपकरणों और मशीनरी का बढ़ता उपयोग, दोनों देशों के बीच निवेश संबंधों का विस्तार और लोगों की यात्रा में बढ़ोतरी- ये सभी व्यापार वृद्धि के प्रमुख कारण हैं। इसके साथ ही, इंडस्ट्री स्तर पर साझेदारी और मिलिट्री-टेक्निकल सहयोग भी लगातार मजबूत हो रहा है।