भारत और रूस के रिश्तों में नई मजबूती, विदेश मंत्री की मास्को यात्रा
भारत ने रूस के साथ अपने संबंधों को और मजबूत करने का निर्णय लिया है, भले ही अमेरिका और यूरोप का दबाव बना हुआ है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मास्को में आयोजित भारत-रूस अंतर सरकारी आयोग की 26वीं बैठक में भाग लिया। इस बैठक में दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों को बढ़ाने और सहयोग के नए आयामों पर चर्चा की गई। जयशंकर ने द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा करते हुए साझा लक्ष्यों की ओर ध्यान केंद्रित किया। जानें इस महत्वपूर्ण बैठक के बारे में और क्या है आगे की योजना।
Aug 21, 2025, 16:01 IST
भारत और रूस के बीच संबंधों की मजबूती
हालांकि अमेरिका और यूरोप की ओर से दबाव बना हुआ है, भारत ने रूस के साथ अपने संबंधों को और मजबूत करने का निर्णय लिया है। तमाम चेतावनियों के बावजूद, रूस के साथ व्यापार जारी है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हाल ही में मॉस्को में आयोजित भारत-रूस अंतर सरकारी आयोग की 26वीं बैठक की सह-अध्यक्षता की। यह बैठक दोनों देशों के संबंधों को नई दिशा देने में महत्वपूर्ण मानी जा रही है। इस अवसर पर, जयशंकर ने कहा कि वह दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडल के साथ इस सत्र में शामिल होकर बहुत खुश हैं। लगभग दस महीने बाद यह बैठक हो रही है। उन्होंने बताया कि भारत और रूस के बीच वस्तु व्यापार 2021 में 13 अरब डॉलर से बढ़कर 2024-25 में 68 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।
साझा लक्ष्य और द्विपक्षीय संबंध
केंद्रीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मास्को में रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मुलाकात की और कहा कि बदलते आर्थिक और व्यापारिक परिदृश्य के बीच भारत-रूस संबंधों की पूरकता को अधिकतम करना साझा लक्ष्य है। इस बैठक ने राजनीतिक और द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा करने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान किया। अब हम वर्ष के अंत में होने वाले वार्षिक शिखर सम्मेलन की तैयारी कर रहे हैं। हमारे नेताओं ने हमेशा हमें विशेष रणनीतिक संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए मार्गदर्शन किया है। हमने द्विपक्षीय सहयोग के कई मुद्दों पर चर्चा की और समाधान भी निकाले।
विविधता और सहयोग का विस्तार
जयशंकर ने कहा कि यह बैठक न केवल राजनीतिक संबंधों पर चर्चा करने का अवसर है, बल्कि द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा का भी मौका है। उन्होंने राजनीति, व्यापार, आर्थिक निवेश, रक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, और लोगों के बीच आपसी आदान-प्रदान पर विचारों के आदान-प्रदान की उम्मीद जताई। पिछले साल जुलाई में 22वें वार्षिक शिखर सम्मेलन के बाद, अब हम अगले शिखर सम्मेलन की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत और रूस को अपने सहयोग के एजेंडे में निरंतर विविधता लानी चाहिए, जिसमें द्विपक्षीय व्यापार में विविधता और अधिक संयुक्त उद्यमों के माध्यम से सहयोग शामिल है। यह टिप्पणी भारत और अमेरिका के बीच संबंधों में आई गिरावट के संदर्भ में आई है, जिसमें भारत द्वारा रूसी कच्चे तेल की खरीद पर अतिरिक्त शुल्क भी शामिल है।