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भारत का अंतिम गाँव: माणा की अनोखी पहचान

भारत की पहचान में गाँवों का महत्वपूर्ण स्थान है, और माणा गाँव इस संदर्भ में विशेष महत्व रखता है। उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित, यह गाँव समुद्र तल से 10,000 फीट की ऊँचाई पर है और भारत की उत्तरी सीमा के निकट बसा है। इसे 'भारत का अंतिम गाँव' कहा जाता है, लेकिन कई इसे 'भारत का पहला गाँव' भी मानते हैं। जानें इस ऐतिहासिक गाँव की अनोखी पहचान और महत्व के बारे में।
 

भारत का अंतिम गाँव

भारत की पहचान के संदर्भ में अक्सर यह कहा जाता है कि “भारत गाँवों का देश है।” यह केवल एक कहावत नहीं, बल्कि एक सच्चाई है। आज भी, देश की एक बड़ी जनसंख्या गाँवों में निवास करती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि भारत के इस विशाल ग्रामीण क्षेत्र का अंतिम सिरा कहाँ है? कौन-सा गाँव है, जहाँ से भारत की सीमाएँ शुरू होती हैं? यह प्रश्न जितना साधारण लगता है, इसका उत्तर उतना ही दिलचस्प और गर्वित है। हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड के एक छोटे लेकिन ऐतिहासिक गाँव माणा की।


उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित माणा गाँव, भारत की उत्तरी सीमा के निकट बसा हुआ है। यह गाँव समुद्र तल से लगभग 10,000 फीट की ऊँचाई पर स्थित है और सीधे भारत और तिब्बत (जो अब चीन के अधीन है) की सीमा से सटा हुआ है। इसलिए इसे अक्सर ‘भारत का अंतिम गाँव’ कहा जाता है। हालांकि यह भौगोलिक दृष्टि से अंतिम गाँव है, लेकिन कई लोग इसे ‘भारत का पहला गाँव’ भी मानते हैं। इसका कारण यह है कि सीमाओं की दृष्टि से माणा वही बिंदु है जहाँ भारत की भूमि की शुरुआत होती है।