भारत का ऑपरेशन सिंदूर: आतंकवाद के खिलाफ नई रणनीति
भारत के हालिया ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकवाद की जड़ों पर गहरा प्रहार किया है। इस ऑपरेशन के बाद, आतंकवादी संगठनों ने अपनी गतिविधियों को पाकिस्तान के खैबर पख़्तूनख़्वा में स्थानांतरित कर दिया है। स्थानीय पुलिस की मौजूदगी में आयोजित सभाओं ने पाकिस्तान की दोहरी नीति को उजागर किया है। जानें कैसे भारत की सैन्य रणनीति आतंकवादियों को सुरक्षित महसूस नहीं करने दे रही है और इस स्थिति का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्या प्रभाव पड़ सकता है।
Sep 20, 2025, 11:57 IST
ऑपरेशन सिंदूर का प्रभाव
हाल ही में भारत द्वारा चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकवाद की जड़ों पर गहरा प्रहार किया है, जिससे आतंकवादी अब अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। बड़े आतंकी ठिकानों के सफाए के बाद, पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादी समूह जैसे जैश-ए-मोहम्मद (JeM) और हिज़बुल मुजाहिद्दीन (HM) ने अपनी गतिविधियों को पाकिस्तान के खैबर पख़्तूनख़्वा (KPK) में स्थानांतरित करना शुरू कर दिया है। यह क्षेत्र अफ़ग़ानिस्तान के निकटता और यहां के पुराने जिहादी ठिकानों के कारण आतंकवादियों के लिए नया आश्रय स्थल बन गया है।
पाकिस्तान की दोहरी नीति
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, इन आतंकी गतिविधियों को पाकिस्तान की राज्य संरचनाओं का समर्थन प्राप्त है। 14 सितंबर को भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच से पहले मंसहरा ज़िले के गढ़ी हबीबुल्लाह में जैश ने एक सार्वजनिक भर्ती अभियान चलाया। इस धार्मिक सभा में स्थानीय पुलिस की मौजूदगी और जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (JUI) की भागीदारी ने पाकिस्तान की दोहरी नीति को उजागर किया। इस सभा में जैश का प्रमुख मौलाना मुफ़्ती मसूद इलियास कश्मीरी ने ओसामा बिन लादेन की प्रशंसा की और जैश की विचारधारा को अल-कायदा से जोड़ा। यह वही कश्मीरी है, जिसे भारत संजुआं हमले का मुख्य साज़िशकर्ता माना जाता है।
जैश और हिज़बुल की नई गतिविधियाँ
ऑपरेशन सिंदूर के बाद, जैश ने मंसहरा में अपने मरकज़ शोहदा-ए-इस्लाम केंद्र का विस्तार करना शुरू कर दिया है। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, निर्माण गतिविधियों और लॉजिस्टिक बढ़ोतरी की पुष्टि हुई है। इसी तरह, हिज़बुल मुजाहिद्दीन ने लोअर डिर, केपीके में नया प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करना शुरू किया है। '313' नामकरण बद्र की लड़ाई और अल-कायदा की ब्रिगेड 313 को संदर्भित करता है, जो इस्लामी कट्टरपंथियों के बीच वैधता हासिल करने की कोशिश है। 25 सितंबर को पेशावर में जैश एक और सभा आयोजित करने जा रहा है, जिसका उद्देश्य नए युवाओं की भर्ती करना है।
स्थानीय पुलिस की भूमिका
चिंताजनक बात यह है कि इन सभाओं में स्थानीय पुलिसकर्मी खुलेआम मौजूद रहते हैं। कश्मीरी ने अपने भाषण में कहा कि सेना प्रमुख आसिम मुनीर ने आतंकियों के अंतिम संस्कार में पाकिस्तानी सेना और वायुसेना को शामिल होने का आदेश दिया था। इसका मतलब है कि आतंकवाद न केवल सहन किया जा रहा है, बल्कि इसे राज्य-प्रायोजित संरक्षण भी मिल रहा है। यह स्थिति विडंबनापूर्ण है क्योंकि पाकिस्तान आज संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और शंघाई सहयोग संगठन जैसे मंचों की अध्यक्षता कर रहा है, जहाँ आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई की प्रतिबद्धता जताई जाती है।
भारत की नई चुनौतियाँ
ऑपरेशन सिंदूर ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत अब सीमाओं के भीतर ही नहीं, बल्कि सीमाओं के पार जाकर भी आतंकवाद पर प्रहार करने में सक्षम है। आतंकवादी अब ऐसे क्षेत्रों में छिपेंगे जहाँ सैन्य अभियान चलाना कठिन होगा। केपीके की भौगोलिक स्थिति अफग़ान आतंकी नेटवर्क से जोड़ने में सहायक है, जिससे भारत के खिलाफ आतंकवाद की नई ऊर्जा पैदा हो सकती है। हालाँकि यह स्थानांतरण नई चुनौतियाँ लाता है, लेकिन यह भारत के लिए एक अवसर भी है। यह स्पष्ट है कि भारत की सैन्य रणनीति सफल हो रही है और आतंकवादी अब सुरक्षित महसूस नहीं कर पा रहे हैं।
भारत की आतंकवाद-निरोधी क्षमता
ऑपरेशन सिंदूर ने भारत की आतंकवाद-निरोधी क्षमता और इच्छाशक्ति को सिद्ध किया है। परिणामस्वरूप, पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादियों को PoK से खदेड़ कर केपीके में शरण लेने पर मजबूर होना पड़ा है। लेकिन यह केवल स्थान परिवर्तन है, आतंकवाद की मानसिकता और पाकिस्तान की नीति जस की तस है। पाकिस्तान के राज्य तंत्र, धार्मिक-राजनीतिक दलों और आतंकी संगठनों की मिलीभगत से यह स्पष्ट हो गया है कि आतंकवाद वहाँ की रणनीतिक गहराई का हिस्सा है। भारत को इस स्थिति को न केवल सैन्य बल्कि कूटनीतिक और आर्थिक स्तर पर भी चुनौती देनी होगी।