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भारत का पहला NGO 'एजुकेट गर्ल्स' बना रेमन मैग्सेसे पुरस्कार विजेता

भारत की गैर-लाभकारी संस्था 'एजुकेट गर्ल्स' ने 2025 में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार जीतकर एक नया इतिहास रचा है। यह पुरस्कार पाने वाला पहला भारतीय NGO है। संस्थापक साफिना हुसैन ने अपनी भावनाएं साझा कीं, जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे उनके व्यक्तिगत अनुभवों ने उन्हें इस मिशन के लिए प्रेरित किया। 'एजुकेट गर्ल्स' ने 20 लाख से अधिक लड़कियों को शिक्षा का अवसर प्रदान किया है। जानें इस संस्था की प्रेरणा और उपलब्धियों के बारे में।
 

भारत की NGO ने रचा इतिहास

भारत की एक गैर-लाभकारी संस्था, 'एजुकेट गर्ल्स', ने 2025 में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार जीतकर एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर स्थापित किया है। यह पुरस्कार, जिसे एशिया का नोबेल पुरस्कार माना जाता है, प्राप्त करने वाला यह पहला भारतीय एनजीओ है। इस संस्था ने ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा से वंचित लड़कियों को शिक्षा प्रदान करने और सामाजिक बाधाओं को तोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।


संस्थापक की भावनाएं

साफिना हुसैन की प्रतिक्रिया

संस्था की संस्थापक, साफिना हुसैन, ने इस सम्मान पर अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए कहा, "पहले मुझे व्हाट्सएप पर एक संदेश मिला, लेकिन मैंने देश कोड पर संदेह किया, इसलिए मैंने जवाब नहीं दिया। फिर मुझे कॉल आई, और जब मैंने बात की, तो मैं चकित रह गई। मेरी आंखों में आंसू थे, मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि यह सच में हुआ। यह हमारे हजारों स्वयंसेवकों के लिए एक बड़ा सम्मान है।" उनकी यह प्रतिक्रिया पुरस्कार की महत्ता को दर्शाती है।


संस्थान की प्रेरणा

एजुकेट गर्ल्स की स्थापना का उद्देश्य

साफिना ने बताया कि उनकी व्यक्तिगत जीवन की घटनाओं ने इस मिशन को प्रेरित किया। "मेरे बचपन में मेरी शिक्षा कुछ वर्षों के लिए बाधित हो गई थी, जिससे मेरा आत्मविश्वास कम हुआ। लेकिन मेरी मौसी ने मुझे सहारा दिया और मेरा आत्मविश्वास बढ़ाया। उनकी मदद से मैं लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स पहुंची। 2005 में भारत लौटने पर मैंने उन लड़कियों के लिए काम करने का निर्णय लिया जो स्कूल नहीं जा पाईं या जिन्होंने कभी पढ़ाई शुरू नहीं की।" साफिना का यह मिशन लाखों लड़कियों के जीवन को बदल रहा है।


महत्वपूर्ण उपलब्धियां

20 लाख से अधिक लड़कियों को शिक्षा का अवसर

2007 में राजस्थान से शुरू हुई 'एजुकेट गर्ल्स' ने 30,000 से अधिक गांवों में 20 लाख से ज्यादा लड़कियों को स्कूल में दाखिला दिलाया है। इसकी 'प्रगति' पहल ने 15-29 आयु वर्ग की 31,500 युवतियों को शिक्षा और आजीविका के अवसर प्रदान किए हैं। यह पुरस्कार भारत में लड़कियों की शिक्षा के लिए एक नई प्रेरणा बनकर उभरा है।