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भारत का रूस से तेल आयात: अमेरिका की चिंता और वैश्विक रैंकिंग

भारत ने सितंबर में रूस से 25,597 करोड़ रुपये का कच्चा तेल खरीदा, जिससे वह चीन के बाद रूस का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार बन गया है। अमेरिका इस पर चिंतित है, जबकि रिपोर्ट में भारत की ऊर्जा सुरक्षा और रूस के महत्व को दर्शाया गया है। जानें इस व्यापार के पीछे के कारण और वैश्विक रैंकिंग में भारत की स्थिति के बारे में।
 

भारत-रूस तेल व्यापार पर अमेरिका की चिंता


भारत-रूस तेल: अमेरिका इस बात को लेकर चिंतित है कि भारत रूस से कच्चा तेल क्यों खरीद रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने यहां तक कहा था कि भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा। हालाँकि, हालिया रिपोर्ट ने इस दावे को खारिज कर दिया है। सितंबर में, भारत ने रूस से 25,597 करोड़ रुपये का कच्चा तेल खरीदा, जिससे वह चीन के बाद रूस का दूसरा सबसे बड़ा तेल खरीदार बन गया है।


रिपोर्ट के मुख्य बिंदु

हेलसिंकी स्थित सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (CREA) द्वारा जारी रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने इस अवधि में रूस से 3.2 अरब यूरो का कच्चा तेल खरीदा, जिससे वह सबसे बड़ा खरीदार बना रहा। भारत ने कुल 3.6 अरब यूरो का जीवाश्म ईंधन खरीदा, जिसमें कोयला और रिफाइन ईंधन शामिल हैं।


भारत का तेल आयात और ऊर्जा सुरक्षा

हालांकि भारत का रूसी तेल आयात सितंबर में 9% घटा है, लेकिन रूस अब भी सस्ते कच्चे तेल और ऊर्जा सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण स्रोत बना हुआ है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि ट्रंप प्रशासन ने भारत पर रूसी तेल आयात कम करने का दबाव डाला था, फिर भी भारत ने आयात जारी रखा।


चीन की अंतर्राष्ट्रीय रैंकिंग

चीन ने न केवल कच्चा तेल, बल्कि एलएनजी (LNG) और कोयले का भी सबसे बड़ा आयात किया है। चीन का कुल आयात 5.5 अरब यूरो रहा, जिसमें विभिन्न प्रकार के ईंधन शामिल हैं।


अन्य प्रमुख आयातक

तुर्किये तीसरे स्थान पर रहा, जिसने रूस से 2.6 अरब यूरो का ईंधन खरीदा। यूरोपीय संघ ने भी रूस से महत्वपूर्ण मात्रा में ईंधन का आयात किया। दक्षिण कोरिया ने कुल 28.3 करोड़ यूरो का आयात किया। भारत का आयात स्तर भले ही घटा हो, लेकिन रूस अभी भी सस्ते कच्चे तेल और ऊर्जा सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत बना हुआ है।