×

भारत की अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए नई समितियों का गठन

भारत की सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व में नई समितियों का गठन किया है। ये समितियाँ देश की अर्थव्यवस्था और सामाजिक कल्याण में सुधार लाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाएंगी। समूह वित्त, उद्योग, और सामाजिक कल्याण जैसे क्षेत्रों में सुधारों का खाका तैयार करेंगे। इन सुधारों का उद्देश्य भारत को 21वीं सदी की चुनौतियों के लिए तैयार करना और नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाना है। जानें इन समितियों के कार्य और उनके संभावित प्रभाव के बारे में।
 

नई समितियों का गठन

एक 13-सदस्यीय समूह, जिसका नेतृत्व केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह करेंगे, देश की अर्थव्यवस्था और तकनीकी क्षेत्र में सुधार लाने के लिए तैयार है। इस समूह में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल जैसे प्रमुख नेता शामिल हैं, जो भारत के आर्थिक सुधारों और तकनीकी प्रगति के लिए एक मजबूत नीतिगत और विधायी एजेंडा तैयार करेंगे। रेल, सूचना एवं प्रसारण और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव इस महत्वपूर्ण समूह के संयोजक के रूप में कार्य करेंगे।


इस समूह का मुख्य ध्यान वित्त, उद्योग, वाणिज्य, अवसंरचना, लॉजिस्टिक्स, संसाधन, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और शासन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में विधायी सुधार और नीतिगत बदलाव लाने पर होगा। यह समूह मौजूदा कानूनों की समीक्षा करेगा, पुरानी बाधाओं को दूर करेगा और भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए नए कानून बनाने का प्रस्ताव देगा।


विशेष रूप से, डिजिटल स्वास्थ्य, फिनटेक, और गिग इकोनॉमी जैसे उभरते क्षेत्रों के लिए एक सुगम कानूनी ढांचा तैयार किया जाएगा। इन सरकारी सुधारों का उद्देश्य भारत की आर्थिक वृद्धि को नई ऊंचाइयों पर ले जाना, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को अभूतपूर्व स्तर तक सुधारना और देश में नवाचार को बढ़ावा देना है।


सामाजिक सुधारों के लिए नई समिति

दूसरी ओर, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व में 18 सदस्यों का एक और समूह सामाजिक, कल्याण और सुरक्षा क्षेत्रों में सुधारों का खाका खींचेगा। यह समूह शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, रक्षा, कौशल विकास, सामाजिक कल्याण, आवास, श्रम और जन स्वास्थ्य जैसे नागरिकों के जीवन से सीधे जुड़े महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सुधार की संभावनाओं का मूल्यांकन करेगा। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी और कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान जैसे वरिष्ठ नेता इस समूह का हिस्सा हैं, और श्रम एवं खेल मंत्री मनसुख मंडाविया इसके संयोजक होंगे।


यह समूह ईज ऑफ लिविंग को बेहतर बनाने, शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने, सभी के लिए सुलभ स्वास्थ्य सेवाएं सुनिश्चित करने, रक्षा क्षेत्र को आधुनिक बनाने, सभी नागरिकों के लिए सुरक्षित आवास उपलब्ध कराने और कौशल विकास के माध्यम से रोजगार के नए अवसर पैदा करने पर ध्यान केंद्रित करेगा।


सामाजिक कल्याण की योजनाओं को अधिक प्रभावी और व्यापक बनाने के साथ-साथ देश की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए भी यह समूह महत्वपूर्ण सुझाव देगा।


सुधारों का रोडमैप

प्रधानमंत्री मोदी के 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास' के सिद्धांत पर चलते हुए, ये दोनों समूह नागरिकों पर अनुपालन के बोझ को कम करने, रोजगार सृजन को गति देने और व्यवस्था में पारदर्शिता लाने पर विशेष ध्यान देंगे। इन समूहों को अपनी प्रगति पर मासिक रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी और तीन महीने के अंत में एक विस्तृत 'समेकित सुधार रोडमैप' तैयार करना होगा।


यह समग्र दृष्टिकोण भारत को 21वीं सदी की चुनौतियों के लिए तैयार करने और 2047 तक एक आत्मनिर्भर, सशक्त और विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में सरकार की दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाता है। ये 'नेक्स्ट-जेनरेशन रिफॉर्म्स' न केवल सरकारी कामकाज को सुव्यवस्थित करेंगे, बल्कि आम आदमी के जीवन को भी बेहतर और सुगम बनाएंगे।