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भारत की आर्थिक वृद्धि पर कर्ज और निवेश की सुस्ती का असर

केंद्रीय वित्त मंत्रालय की ताजा रिपोर्ट में भारत की आर्थिक स्थिति पर चिंता जताई गई है। कर्ज लेने की गति में कमी और निजी निवेश की सुस्ती से आर्थिक वृद्धि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। अमेरिका के आयात शुल्क और द्विपक्षीय व्यापार समझौते की अनिश्चितता भी चिंता का विषय है। रिपोर्ट में बताया गया है कि हाल के महीनों में निर्यात में गिरावट आई है, जिससे घरेलू कारोबार प्रभावित हो रहा है। सरकार को घरेलू बाजार में सुधार के लिए कदम उठाने की आवश्यकता है।
 

केंद्रीय वित्त मंत्रालय की चेतावनी

केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने हाल ही में जारी अपनी मासिक समीक्षा रिपोर्ट में चेतावनी दी है कि कर्ज लेने की गति धीमी हो रही है और निजी निवेश में कमी आई है। इसका प्रभाव भारत की आर्थिक वृद्धि पर पड़ सकता है।


आर्थिक चुनौतियों का सामना

भारतीय अर्थव्यवस्था के सामने बढ़ती चुनौतियों के बीच, केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने स्थिति की गंभीरता को स्वीकार किया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि कर्ज लेने की गति में कमी और निजी निवेश की सुस्ती से आर्थिक विकास प्रभावित हो सकता है। इसके अलावा, अमेरिका द्वारा लगाए गए आयात शुल्क का खतरा भी बना हुआ है। भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते की स्थिति अनिश्चित बनी हुई है। अमेरिका की शर्तों को देखते हुए, व्यापार समझौता न होना तो एक समस्या है, लेकिन मौजूदा शर्तों को मान लेना और भी अधिक हानिकारक साबित हो सकता है।


वैश्विक व्यापार पर प्रभाव

डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ युद्ध का प्रभाव केवल द्विपक्षीय व्यापार तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे वैश्विक बाजार में भी अस्थिरता आई है, जिसका असर भारत पर भी पड़ रहा है। वित्त मंत्रालय ने बताया कि जून में भारत के वस्तु निर्यात में गिरावट आई है, जो केवल 35.14 बिलियन डॉलर रह गया। हाल के महीनों में निर्यात या तो गिरा है या स्थिर रहा है, जिसका असर घरेलू कारोबार पर भी पड़ा है। जून में 10 कॉमर्शियल बैंकों की ऋण वृद्धि दर 10.4 प्रतिशत रही, जबकि जून 2024 में यह दर 13.9 प्रतिशत थी।


निवेश में कमी के कारण

हालांकि ब्याज दरें गिरने के बावजूद उद्यमियों में नए निवेश के लिए उत्साह की कमी देखी जा रही है। वित्त मंत्रालय ने यह स्पष्ट नहीं किया है, लेकिन घरेलू बाजार की समस्याएं भी निजी निवेश की सुस्ती का एक बड़ा कारण हो सकती हैं। अधिकांश जनसंख्या की आमदनी स्थिर है, जिससे मांग में कमी आई है। जब मांग नहीं है, तो व्यवसाय निवेश क्यों करेंगे? सरकार बाहरी परिस्थितियों को नियंत्रित नहीं कर सकती, लेकिन घरेलू बाजार में सुधार के लिए कदम उठाने की आवश्यकता है। वर्तमान स्थिति में सुधार के अलावा कोई विकल्प नहीं है।