भारत की कूटनीति में ऐतिहासिक मोड़: मोदी और पुतिन की ड्राइव
2018 में भारत की कूटनीतिक चाल
यह घटना 2018 की है, जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप वैश्विक स्तर पर अपनी शक्ति स्थापित करने में लगे थे। उन्होंने भारत पर रूस से दूरी बनाने का दबाव डाला और चेतावनी दी कि यदि भारत S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदता है, तो उसे अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ेगा। उस समय स्थिति बेहद तनावपूर्ण थी और सभी की नजरें इस बात पर थीं कि क्या भारत इस दबाव के आगे झुकेगा।ऐसे कठिन समय में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक साहसिक कदम उठाया। उन्होंने रूस के सोची शहर का दौरा किया। यह यात्रा केवल एक सामान्य दौरा नहीं थी, बल्कि एक महत्वपूर्ण संदेश भी थी।
इस दौरे की सबसे यादगार तस्वीर तब बनी जब रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन खुद अपनी कार चला रहे थे और पीएम मोदी उनके बगल में बैठे थे। दोनों नेता बिना किसी औपचारिकता के बातचीत करते हुए यात्रा कर रहे थे।
प्रसिद्ध राजनीतिक वैज्ञानिक और यूरेशिया ग्रुप के अध्यक्ष, इयान ब्रेमर ने हाल ही में इस घटना को याद करते हुए कहा कि यह केवल एक कार ड्राइव नहीं थी, बल्कि अमेरिका के लिए एक स्पष्ट संदेश था। ब्रेमर के अनुसार, इस तस्वीर ने अमेरिका को यह बता दिया कि "भारत एक संप्रभु देश है और वह अपने निर्णय स्वयं करेगा।"
इस ड्राइव का प्रभाव इतना गहरा था कि ट्रंप प्रशासन को यह समझ में आया कि भारत दबाव में नहीं आएगा। इसके परिणामस्वरूप, अमेरिका को अपने CAATSA कानून में भारत के लिए विशेष छूट देनी पड़ी, जो भारत की एक बड़ी कूटनीतिक जीत थी।
यह घटना साबित करती है कि पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत अब किसी भी महाशक्ति के दबाव में नहीं है, बल्कि अपने राष्ट्रीय हितों के अनुसार अपनी विदेश नीति निर्धारित करता है। मोदी और पुतिन की वह ड्राइव आज भी भारतीय कूटनीति के सबसे साहसिक क्षणों में से एक मानी जाती है।