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भारत की टेस्ट पारी की शुरुआत में वोक्स का कहर, क्या फिर से होगा इतिहास?

भारत और इंग्लैंड के बीच चल रहे चौथे टेस्ट मैच में भारत की शुरुआत बेहद खराब रही। पहले ही ओवर में दो विकेट खोने के बाद, टीम को संभालने के लिए केएल राहुल और शुभमन गिल ने प्रयास किया। इस बीच, ऋषभ पंत की चोट ने टीम की चिंता बढ़ा दी है। क्या भारत इस मुश्किल स्थिति से उबर पाएगा? जानें पूरी कहानी इस लेख में।
 

भारत की खराब शुरुआत

मैनचेस्टर के ओल्ड ट्रैफर्ड स्टेडियम में इंग्लैंड के खिलाफ चल रहे चौथे टेस्ट मैच की दूसरी पारी में भारत की शुरुआत बेहद निराशाजनक रही। इंग्लैंड द्वारा पहली पारी में बनाए गए विशाल 669 रन के जवाब में भारतीय टीम ने पहले ही ओवर में दो विकेट खो दिए। शुभमन गिल की अगुवाई वाली टीम को बल्ले से एक मजबूत शुरुआत की आवश्यकता थी, लेकिन क्रिस वोक्स ने भारतीय बल्लेबाजी क्रम को बुरी तरह से प्रभावित किया।


क्रिस वोक्स की घातक गेंदबाज़ी

क्रिस वोक्स ने पहले ओवर में ही भारतीय पारी को बड़ा झटका दिया। यशस्वी जायसवाल और साईं सुदर्शन लगातार दो गेंदों पर आउट हुए। जायसवाल को स्लिप में जो रूट ने लपका, जबकि साईं सुदर्शन की गेंद सीधे हैरी ब्रुक की दूसरी स्लिप में गई। इससे पहले कि भारत खुद को संभाल पाता, स्कोरबोर्ड पर 0/2 दर्ज हो चुका था।


टेस्ट इतिहास में दुर्लभ स्थिति

भारत की यह स्थिति टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में बेहद असामान्य रही है। आखिरी बार टीम इंडिया ने 1983 में बिना खाता खोले दो विकेट गंवाए थे। उस समय सुनील गावस्कर चौथे नंबर पर बल्लेबाजी करने आए थे। अंशुमान गायकवाड़ और दिलीप वेंगसरकर खाता नहीं खोल पाए थे, जिससे गावस्कर को जल्दी आना पड़ा। उस मैच में वेस्टइंडीज के दिग्गज विवियन रिचर्ड्स ने गावस्कर को स्लेज करते हुए कहा था, “आप चाहे कहीं भी खेलें, स्कोर तो 0 ही रहेगा।”


राहुल और गिल का प्रयास

हालांकि, शुरुआती झटकों के बाद केएल राहुल और शुभमन गिल ने पारी को संभालने की कोशिश की। दोनों बल्लेबाज़ों ने सतर्कता से खेलते हुए रनगति को बनाए रखने का प्रयास किया। इस समय टीम के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात विकेट बचाना है। इंग्लैंड की पहली पारी की 311 रनों की बढ़त को पाटने के लिए एक लंबी साझेदारी की आवश्यकता है।


ऋषभ पंत की चोट का असर

भारतीय टीम के लिए एक और चिंता यह है कि विकेटकीपर बल्लेबाज ऋषभ पंत पहले से ही चोटिल हैं। ऐसे में यदि कोई और बल्लेबाज़ जल्दी आउट होता है, तो निचला क्रम पूरी तरह से कमजोर हो सकता है। भारत को अभी भी मुकाबले में बने रहने के लिए संयमित और आक्रामक बल्लेबाजी का संतुलन साधना होगा।