भारत की टैरिफ नीति: अमेरिका के खिलाफ जवाबी कार्रवाई की तैयारी
भारत की टैरिफ प्रतिक्रिया
भारत की टैरिफ प्रतिक्रिया: भारत ने अमेरिका द्वारा भारतीय स्टील और एल्युमीनियम पर लगाए गए 50% टैरिफ के खिलाफ ठोस कदम उठाते हुए कुछ अमेरिकी उत्पादों पर जवाबी शुल्क लगाने की योजना बनाई है। यह निर्णय विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियमों के अंतर्गत लिया जाएगा और यह ट्रंप प्रशासन की एकतरफा नीतियों का जवाब है, जिसमें 31 जुलाई 2025 को सभी भारतीय निर्यात पर 25% टैरिफ और 6 अगस्त को रूसी तेल खरीद पर दंडात्मक शुल्क की घोषणा शामिल है।
व्यापारिक तनाव का इतिहास
यह व्यापारिक तनाव फरवरी 2025 में शुरू हुआ, जब ट्रंप प्रशासन ने भारतीय स्टील और एल्युमीनियम पर 25% टैरिफ लागू किया। जून 2025 में इसे बढ़ाकर 50% कर दिया गया, जिससे भारत के 7.6 अरब डॉलर के निर्यात पर 3.82 अरब डॉलर का अतिरिक्त शुल्क लगा। इस कदम ने भारत के आर्थिक हितों को गंभीर रूप से प्रभावित किया, जिसके बाद भारत ने जवाबी कार्रवाई की योजना बनाई।
WTO में भारत का पक्ष
9 मई 2025 को भारत ने WTO को सूचित किया कि अमेरिका का टैरिफ WTO के GATT 1994 और सुरक्षा उपायों पर समझौते (AoS) का उल्लंघन करता है। भारत ने कहा, 'अमेरिका ने स्टील और एल्युमीनियम पर लगाए गए शुल्क को राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर लागू किया, लेकिन परामर्श से इनकार कर दिया। ये उपाय पारदर्शिता और नियमों के अनुरूप नहीं हैं।' भारत ने इसे अवैध करार देते हुए जवाबी शुल्क लगाने का अधिकार सुरक्षित रखा।
जवाबी शुल्क की रणनीति
12 मई 2025 को भारत ने WTO को सूचित किया कि वह 7.6 अरब डॉलर के अमेरिकी सामानों पर जवाबी शुल्क लगाएगा, जो अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव के बराबर है। 10 जुलाई 2025 को इस राशि को संशोधित कर 3.82 अरब डॉलर कर दिया गया, क्योंकि अमेरिका ने टैरिफ को 25% से बढ़ाकर 50% किया। भारत की योजना में निम्नलिखित उत्पाद शामिल हो सकते हैं:
- कृषि उत्पाद: बादाम, अखरोट, सेब
- इलेक्ट्रॉनिक्स: मोबाइल फोन, लैपटॉप
8 जून 2025 के बाद से ये शुल्क लागू हो सकते हैं, बशर्ते दोनों देशों के बीच कोई समझौता न हो। भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि वह उत्पादों और शुल्क दरों को समायोजित करने का अधिकार रखता है।
भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों पर असर
2024 में भारत और अमेरिका के बीच 191 अरब डॉलर का व्यापार हुआ, जिसमें भारत ने 86 अरब डॉलर का माल और 41.6 अरब डॉलर की सेवाएं निर्यात कीं, जबकि अमेरिका ने 45 अरब डॉलर का माल और 41.8 अरब डॉलर की सेवाएं भारत को निर्यात कीं। अमेरिका का भारत के साथ 10.2 करोड़ डॉलर का सेवा व्यापार अधिशेष था। ट्रंप के टैरिफ ने इस संतुलन को बिगाड़ दिया है, और भारत के जवाबी शुल्क से अमेरिकी निर्यात, खासकर कृषि क्षेत्र, पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।