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भारत की नई रक्षा रणनीति: CDS जनरल अनिल चौहान का महत्वपूर्ण भाषण

भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने रांची में एक महत्वपूर्ण भाषण में स्पष्ट किया कि भारत अब पश्चिमी देशों की रक्षा रणनीतियों की ओर नहीं देखेगा। उन्होंने भारतीय सैन्य बुद्धि को अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया और बताया कि युद्ध के तरीके अब बदल चुके हैं। जनरल चौहान ने भारत की अनूठी भौगोलिक स्थिति, जनसंख्या और आर्थिक सच्चाइयों के संदर्भ में अपनी बात रखी। उनका संदेश था कि 'नया भारत' अपनी रक्षा के लिए पूरी तरह सक्षम है और अपनी शर्तों पर युद्ध लड़ने के लिए तैयार है।
 

भारत की रक्षा के लिए नई दिशा

भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS), जनरल अनिल चौहान ने आज रांची में एक महत्वपूर्ण भाषण में स्पष्ट किया कि भारत अब अपनी रक्षा और युद्ध की रणनीतियों के लिए पश्चिमी देशों की ओर नहीं देखेगा। उन्होंने कहा कि यह समय है कि भारत अपनी प्राचीन सैन्य ज्ञान, जैसे कौटिल्य के अर्थशास्त्र, से प्रेरणा लेकर अपनी 'भारतीय युद्धनीति' विकसित करे। जनरल चौहान ने कहा, "हम पश्चिमी युद्ध की अवधारणाओं के गुलाम नहीं रह सकते।"


जनरल चौहान ने तीसरे जनरल के. एस. थिमैया मेमोरियल लेक्चर में यह बात कही, जहां उन्होंने युद्ध, रणनीति और भारत की सैन्य भविष्य की दिशा पर गहन विचार साझा किए। उन्होंने बताया कि पश्चिमी देशों ने अपनी जरूरतों के अनुसार युद्ध की रणनीतियाँ बनाई हैं, जबकि भारत की भौगोलिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक वास्तविकताएँ भिन्न हैं।


उन्होंने जोर देकर कहा कि आज की दुनिया में कोई भी सेना हमें यह नहीं सिखा सकती कि हमें युद्ध कैसे लड़ना चाहिए। इसके पीछे कई कारण हैं: हमारे अनूठे भूगोल, जनसंख्या का महत्व, और आर्थिक सच्चाइयाँ।


जनरल चौहान ने रूस-यूक्रेन युद्ध और चीन की आक्रामकता का भी उल्लेख किया, यह बताते हुए कि ये घटनाएँ हमें सिखा रही हैं कि युद्ध के तरीके अब बदल चुके हैं। उनका संदेश स्पष्ट था: 'नया भारत' अपनी रक्षा के लिए पूरी तरह सक्षम है और अपनी शर्तों पर युद्ध लड़ने के लिए तैयार है।