भारत की वायुसेना के लिए 5वीं पीढ़ी के फाइटर जेट की खरीद की योजना
5वीं पीढ़ी के फाइटर जेट की आवश्यकता
5वीं पीढ़ी के फाइटर जेट की खरीद: दुनिया भर में चल रहे संघर्षों के कारण फाइटर जेट की मांग में तेजी आई है। रूस-यूक्रेन, इजरायल-ईरान और भारत-पाकिस्तान के बीच चल रहे युद्धों में एयर डिफेंस सिस्टम और फाइटर जेट की आवश्यकता पर चर्चा होती रही है। भारत ने अपनी सैन्य शक्ति को बढ़ाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल से लेकर अग्नि-5 आईसीबीएम तक, भारत ने कई उन्नत तकनीकों का विकास किया है। हाल ही में, आकाश प्राइम मिसाइल डिफेंस और हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया है, जिससे थलसेना और वायुसेना की क्षमता में वृद्धि हुई है।
राफेल विमानों की खरीद
राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद ने भारत की वायु शक्ति को और मजबूत किया है। इसके साथ ही, भारत ने रूस से एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम भी खरीदा है, जिसे सीमा पर तैनात किया गया है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान स्वदेशी रक्षा प्रणाली ने अपनी प्रभावशीलता साबित की थी। इसके अलावा, नौसेना को मजबूत करने के लिए भी बड़े पैमाने पर निवेश किया जा रहा है। हाल ही में INS तमाल और अन्य युद्धपोतों को नौसेना के बेड़े में शामिल किया गया है। पहले से मौजूद INS विक्रमादित्य और INS विक्रांत के साथ, भारत समुद्र, जमीन और आसमान में अपनी स्थिति को और मजबूत करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
ऑपरेशन सिंदूर में भारत की ताकत
ऑपरेशन सिंदूर में भारत की शक्ति का प्रदर्शन
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान वायुसेना ने अपनी ताकत से दुनिया को प्रभावित किया। हालांकि, कुछ कमियों का भी सामना करना पड़ा, जिन्हें दूर करने के लिए तेजी से कदम उठाए जा रहे हैं। वायुसेना का अपग्रेडेशन प्लान बिना 5वीं पीढ़ी के फाइटर जेट के अधूरा है। दूसरी ओर, चीन ने पाकिस्तान को 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की पेशकश की है। यदि यह सौदा सफल होता है, तो दक्षिण एशिया में सामरिक संतुलन प्रभावित हो सकता है।
भारत की 5वीं पीढ़ी के फाइटर जेट खरीदने की योजना
भारत की 5वीं पीढ़ी के फाइटर जेट खरीदने की योजना
भारत इस स्थिति को गंभीरता से ले रहा है। इसलिए, स्वदेशी तकनीक से 5वीं पीढ़ी के फाइटर जेट बनाने की परियोजना शुरू की गई है, जिसे एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) कहा जाता है। इसके साथ ही, तेजस फाइटर जेट के नए वैरिएंट पर भी काम चल रहा है। वायुसेना ने तत्काल जरूरतों को पूरा करने के लिए 5वीं पीढ़ी के विमानों की खरीद की मांग की है। रक्षा सचिव आरके सिंह ने इस मांग का समर्थन किया है। वायुसेना ने 5वीं पीढ़ी के फाइटर जेट के दो से तीन स्क्वाड्रन खरीदने की सिफारिश की है।
खर्च का अनुमान
खर्च का अनुमान
यदि वायुसेना की सिफारिश को स्वीकार किया जाता है, तो भारत को 40 से 60 5वीं पीढ़ी के फाइटर जेट खरीदने होंगे, जिन पर 57060 से 41498 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। वायुसेना का कहना है कि जब तक AMCA प्रोजेक्ट के तहत स्वदेशी फाइटर जेट का उत्पादन शुरू नहीं होता, तब तक विदेशों से फाइटर जेट खरीदने की आवश्यकता है, ताकि क्षेत्रीय रक्षा संतुलन बना रहे। भारत 2030 के बाद ही 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों का घरेलू उत्पादन कर पाएगा।