भारत की स्वतंत्र ऊर्जा नीति: रूस से सस्ते तेल की खरीदारी पर अमेरिका की चिंता
भारत की ऊर्जा नीति में नया मोड़
भारत ने हाल के दिनों में अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है, जिसने वैश्विक राजनीति में हलचल मचा दी है। रूस से सस्ते तेल की खरीद ने भारत को एक स्वतंत्र और मजबूत ऊर्जा नीति अपनाने का अवसर प्रदान किया है, लेकिन इसने अमेरिका और यूरोपीय संघ के बीच चिंता की लहर पैदा कर दी है। अमेरिकी नेता डोनाल्ड ट्रंप जैसे व्यक्तियों ने भारत पर राजनीतिक दबाव बनाने की कोशिश की है। फिर भी, भारत ने स्पष्ट किया है कि वह किसी भी भू-राजनीतिक दबाव के आगे अपनी स्वतंत्रता से समझौता नहीं करेगा।भारत का स्पष्ट संदेश: कोई दबाव नहीं
भारत ने रूस से तेल खरीदने के मुद्दे पर पश्चिमी देशों को स्पष्ट जवाब दिया है। ब्रिटेन में भारत के उच्चायुक्त विक्रम दोरईस्वामी ने हाल ही में एक साक्षात्कार में कहा कि भारत की विदेश नीति स्वतंत्र है और वह किसी भी देश के दबाव में आकर अपनी नीति नहीं बदलेगा। उन्होंने यह भी बताया कि भारत, जो दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता है, रूस जैसे देशों से सस्ते तेल खरीदने में कोई गलत नहीं समझता। विक्रम ने यह भी कहा कि 80% ऊर्जा आयात करने वाले भारत के लिए तेल की कीमतों में वृद्धि उसकी अर्थव्यवस्था को और अधिक कठिनाइयों में डाल सकती है।
अमेरिका की धमकियों का प्रभाव
अमेरिका ने रूस से तेल खरीदने वाले देशों को चेतावनी दी है कि यदि वे अपनी नीति में बदलाव नहीं करते हैं, तो उन पर 100% सेकेंडरी सैंक्शंस लगाए जाएंगे। इसका अर्थ है कि यदि भारत ने रूस से तेल खरीदने से मना किया, तो उसे अमेरिका और यूरोपीय देशों के साथ व्यापार में गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। अमेरिका और नाटो का मानना है कि रूस से तेल खरीदने वाले देशों की मदद से रूस को युद्ध के लिए वित्तीय संसाधन मिल रहे हैं। लेकिन भारत का कहना है कि तेल की खरीदारी से वह अपनी आंतरिक आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाए रखता है और सस्ते तेल का लाभ उठाने में कोई हर्ज नहीं है।
रूसी तेल से भारत को लाभ
यूक्रेन युद्ध के बाद, यूरोपीय संघ ने रूस पर तेल निर्यात प्रतिबंध लगाए थे, जिसका लाभ भारत ने उठाया। भारत को रूस से 11-16% तक सस्ते तेल मिल रहे हैं, जिससे 2022-2025 के बीच भारत ने लगभग 11 से 25 अरब डॉलर की बचत की है। इसके अलावा, 2023-24 में इस सस्ते तेल के कारण भारत को लगभग 65000 करोड़ रुपये की बचत हुई है। पश्चिमी देशों से तेल खरीदने की तुलना में, रूस से तेल खरीदने से न केवल कीमत में कमी आती है, बल्कि आयात परिवहन की लागत भी कम होती है।
क्या रूस से तेल खरीदना सही है?
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) जैसे शोध संस्थानों ने भी कहा है कि भारत को रूस से तेल खरीदने की अपनी नीति को नहीं बदलना चाहिए। रूस से सस्ता तेल खरीदने से भारत को महंगाई पर काबू रखने में मदद मिल रही है और वैश्विक आर्थिक अस्थिरता के बावजूद उसे अपने आर्थिक संतुलन को बनाए रखने का अवसर मिल रहा है। यदि भारत ने रूस से तेल खरीदने का निर्णय बदल दिया, तो इसके परिणामस्वरूप पेट्रोल और डीजल की कीमतों में भारी वृद्धि हो सकती है, जो देश में महंगाई को और बढ़ा सकती है।