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भारत की स्वतंत्र विदेश नीति: अमेरिका के दबाव का सामना

भारत ने अपनी स्वतंत्र विदेश नीति की स्पष्ट घोषणा की है, जिसमें उसने अमेरिका के दबाव का सामना करते हुए अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, नया भारत अपनी नीतियों को बाहरी दबावों से प्रभावित नहीं होने देता। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा रूस के साथ व्यापार को लेकर दी गई चेतावनियों के बावजूद, भारत ने स्पष्ट किया है कि उसकी ऊर्जा जरूरतें प्राथमिकता हैं। जानें कैसे भारत ने अपने हितों की रक्षा की है और विपक्ष की प्रतिक्रियाओं का क्या असर पड़ा है।
 

भारत की विदेश नीति की स्वतंत्रता

भारत ने एक संप्रभु राष्ट्र के रूप में अपनी विदेश नीति की स्वतंत्रता को स्पष्ट रूप से स्थापित किया है। अमेरिका द्वारा रूस के साथ व्यापार को लेकर दी गई चेतावनी के जवाब में, भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा, 'हमारे संबंध किसी तीसरे देश के दृष्टिकोण से नहीं देखे जाने चाहिए। भारत और रूस के बीच एक स्थिर और समय की कसौटी पर परखी गई साझेदारी है।'


भारत का नया दृष्टिकोण

भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि उसकी आर्थिक, विदेश और सामरिक नीतियां किसी भी बाहरी दबाव से प्रभावित नहीं होतीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, नया भारत अपने राष्ट्रीय हितों और 140 करोड़ लोगों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए नीतियां बनाता है। चाहे वह पहलगाम कांड के बाद पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई हो या रूस के साथ व्यापार में अमेरिकी दबाव, भारत ने हमेशा अपने हितों को प्राथमिकता दी है।


अमेरिका का दबाव और भारत की प्रतिक्रिया

हाल ही में, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि रूस के साथ व्यापार करने के कारण भारत पर जुर्माना लगाया जाएगा। लेकिन भारत ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। भारत ने स्पष्ट किया कि कच्चे तेल की खरीद उसकी ऊर्जा जरूरतों पर आधारित है।


रूस से तेल खरीदने की स्थिति

हालांकि कुछ रिपोर्टों में कहा गया कि भारत ने रूस से तेल खरीदना बंद कर दिया है, लेकिन सरकारी सूत्रों ने इसे खारिज कर दिया। भारत ने कहा कि वह अपनी ऊर्जा जरूरतों के अनुसार रूस से तेल खरीदता रहेगा।


भारत की कूटनीति

भारत ने स्पष्ट किया है कि उसकी विदेश नीति बाहरी दबावों से प्रभावित नहीं होगी। विदेश मंत्रालय ने कहा कि हम अपने ऊर्जा विकल्पों और वैश्विक स्थिति के आधार पर निर्णय लेते हैं।


विपक्ष की प्रतिक्रिया

विपक्ष के नेता, विशेषकर कांग्रेस के राहुल गांधी, बार-बार गलत जानकारी दे रहे हैं। वे कहते हैं कि अमेरिका के दबाव में भारत ने सीजफायर किया, लेकिन यह तथ्य गलत साबित हो चुका है।


भारत और अमेरिका के संबंध

भारत और अमेरिका के बीच संबंध समय की कसौटी पर खरे उतरे हैं। भारत ने स्पष्ट किया है कि वह अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देगा।


व्यापार संधि की स्थिति

भारत ने कहा है कि वह अपने किसानों और व्यापारियों के हितों की रक्षा करेगा। अमेरिका के साथ व्यापार संधि में भी भारत अपने नागरिकों के हितों को प्राथमिकता देगा।