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भारत की हिमालयी सुरक्षा: सुरंगों और सड़कों का निर्माण

भारत सरकार ने हिमालयी क्षेत्र में सुरक्षा को मजबूत करने के लिए सुरंगों, हवाई पट्टियों और सड़कों के निर्माण पर करोड़ों रुपये खर्च करने का निर्णय लिया है। यह कदम गलवान झड़प के बाद उठाया गया है, जब भारत ने अपनी लॉजिस्टिक्स व्यवस्था में कमियों को पहचाना। जानें इस रणनीति के पीछे के कारण और जोजिला सुरंग के महत्व के बारे में।
 

हिमालयी क्षेत्र में भारत की तैयारी


भारत और चीन के बीच संबंधों में तनाव के बावजूद, भारत सरकार हिमालयी क्षेत्र में सुरक्षा को लेकर गंभीर है। गलवान झड़प के बाद, भारत ने भविष्य में किसी भी संभावित संघर्ष के लिए तैयार रहने का निर्णय लिया है।


2020 में हुई गलवान झड़प

एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने हिमालयी क्षेत्रों में सुरंगों, हवाई पट्टियों और सड़कों के निर्माण पर करोड़ों रुपये खर्च किए हैं। 2020 में लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच हिंसक झड़प हुई थी, जिसमें दोनों पक्षों को नुकसान उठाना पड़ा था।


लॉजिस्टिक्स में कमी

गलवान झड़प के बाद, भारत की लॉजिस्टिक्स व्यवस्था में कई कमियां उजागर हुईं। चीन ने अपनी सीमा पर मजबूत रेल और सड़क नेटवर्क विकसित किया है, जबकि भारत ने पहाड़ी क्षेत्रों में आवश्यक बुनियादी ढांचे के निर्माण में पीछे रह गया है।


नई रणनीति की आवश्यकता

पूर्व ऑपरेशनल लॉजिस्टिक्स प्रमुख मेजर जनरल अमृत पाल सिंह ने कहा कि गलवान झड़प के बाद रणनीति में बदलाव की आवश्यकता महसूस हुई। लेफ्टिनेंट जनरल दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने बताया कि हिमालयी क्षेत्र में चल रहे प्रोजेक्ट्स का उद्देश्य ऊंचाई वाली चौकियों को नागरिक बस्तियों से जोड़ना है।


जोजिला सुरंग का महत्व

जोजिला सुरंग, जो 6,734 करोड़ रुपये की लागत से बनाई जा रही है, इस क्षेत्र की सबसे महत्वपूर्ण परियोजना है। यह सुरंग लद्दाख में सीमावर्ती चौकियों तक सामान पहुंचाने में मदद करेगी, खासकर जब भारी बर्फबारी के कारण संपर्क कट जाता है।